प्राइमरी स्कूलों में इस बार नया पाठ्यक्रम जारी किया गया है। इस पाठ्यक्रम के जारी होने के साथ ही शिक्षा विभाग ने एक और संशय पैेदा कर दिया, जिसके चलते अतिथि अध्यापक परेशान हैं। उनकी परेशानी ये है कि शिक्षकों को पाठ्यक्रम की ट्रेनिंग दी जानी है, जिसमें केवल नियमित शिक्षकों को ही शामिल किया जाएगा। अस्थाई तौर पर कार्यरत यानी अतिथि अध्यापकों को इस प्रशिक्षण से दूर रखा गया है। बाकायदा विभाग की तरफ से पत्र भी जारी किया गया है। पत्र में साफ लिखा गया है कि केवल नियमित शिक्षकों को ही शामिल किया जाना चाहिए। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इससे अतिथि अध्यापकों को चिंता इसलिए बढ़ गई है, क्योंकि यदि वे प्रशिक्षण नहीं लेंगे तो भविष्य में बच्चों को पढ़ाएंगे कैसे। अतिथि शिक्षकों को प्रशिक्षण से वंचित रखा तो स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित होगी। दूसरी वजह ये है कि शायद भविष्य में सरकार उन्हें हटाने की प्लानिंग बना रही हो और इसलिए प्रशिक्षण देना उचित न समझा हो। इस तरह के तमाम सवाल शिक्षकों के जेहन में उतर रहे हैं। विभाग ने इस साल प्राइमरी स्कूलों का सिलेबस बदल दिया है। पाठ्यक्रम में काफी नई सामग्री शामिल की गई है। इसलिए विभाग ने माना कि शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाना जरूरी है। 1 अगस्त से खंड स्तर पर यह प्रशिक्षण शुरू किया जाना है। पहले चरण में पहली व दूसरी कक्षा के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। अतिथि अध्यापक सोच रहे थे कि उन्हें भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। लेकिन पत्र में लिखा है कि एक समय में प्रत्येक स्कूल से एक नियमित शिक्षक को बुलाया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान एक समूह में पचास अध्यापकों को शामिल किया जाएगा। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद हरियाणा की तरफ से यह कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसलिए स्थानीय अधिकारी इस मसले पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। मगर शिक्षकों में इस कार्यक्रम को लेकर रोष है।
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साभार: जागरण समाचार
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