सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात कानून में छूट देते हुए एक दुष्कर्म पीड़िता को 24 हफ्ते (छह महीने) का अपना मानसिक रूप से कमजोर और विकृत भ्रूण गिराने की इजाजत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई अस्पताल मेडिकल बोर्ड की सिफारिश पर यह अनुमति दी। इसमें कहा गया है कि गर्भ के बने रहने से मां के जीवन को खतरा हो सकता है।
जस्टिस जेएस खेहर और अरुण मिश्र की खंडपीठ ने सोमवार को अपना फैसला सुनाते हुए कहा, ‘हम याचिकाकर्ता को छूट प्रदान करते हैं। अगर वह अपना गर्भपात कराना चाहती है तो उसे इजाजत है।’ यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सर्वोच्च अदालत ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 की धारा 5 के तहत छूट का लाभ दिया है। इस कानून के तहत अब तक ऐसे मामले में जिसमें मां की जान को गंभीर खतरा हो 20 हफ्ते के गर्भ के बाद भी गर्भपात की अनुमति दी जाती थी। सुनवाई के दौरान मुंबई के अस्पताल किंग एडवर्ड मेमोरियल कालेज के मेडिकल बोर्ड के सात सदस्यीय पैनल ने सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट खंडपीठ के समक्ष पेश की। इसमें पीड़ित महिला की सेहत का पूरा ब्योरा दिया गया था। अदालत ने बताया कि मेडिकल बोर्ड ने जांच में पाया कि 24 हफ्ते के भ्रूण में गंभीर किस्म की विकृतियां हैं। अगर इस गर्भ को रखा गया तो मां की जान को भी गंभीर खतरा हो सकता है। बोर्ड ने गर्भपात कराने की सिफारिश की है। दुष्कर्म पीड़िता ने गर्भपात कानून की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी थी। लिहाजा, सर्वोच्च अदालत ने कहा कि मां की जान को खतरे के बावजूद 20 हफ्ते से अधिक के भ्रूण के गर्भपात की अनुमति नहीं होने की संवैधानिक वैधता को व्यापक पैमाने पर लिया जाएगा। इस मामले में कई ऐसी और याचिकाएं भी लंबित हैं। इसलिए इस विषय पर एक अन्य खंडपीठ विचार करेगी। अपनी याचिका में पीड़िता ने आरोप लगाया था कि शादी का झूठा वादा कर उसके पूर्व मंगेतर ने उससे दुष्कर्म किया था। उसने 20 हफ्ते बाद गर्भपात पर रोक संबंधी धारा 3 को रद करने के लिए निर्देश देने की मांग की। चूंकि यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है। उसकी याचिका में दलील दी गई है कि पाबंदी अतार्किक, मनमानी, कठोर, भेदभावपूर्ण और जीवन एवं समानता के अधिकार का उल्लंघन करने वाली है।’
कनाडा: किसी भी स्थिति किसी भी समय गर्भपात करवाया जा सकता है।
मेक्सिको: विभिन्न प्रांतों में अलग कानून। मां या बच्चे को जोखिम और दुष्कर्म के मामले में गर्भपात को है अनुमति। 12 सप्ताह तक की अनुमति
ब्राजील: मां की जान को हो जोखिम या दुष्कर्म से हुए गर्भ का ही कराया जा सकता है गर्भपात
जर्मनी: दुष्कर्म मामले में 12 सप्ताह तक गर्भपात की अनुमति। इससे अधिक समय का तभी हो सकता है गर्भपात जब मां या बच्चे की जान को हो जोखिम
ब्रिटेन: विभिन्न कारणों के चलते 24 हफ्ते तक अनुमति। दो डॉक्टरों की मंजूरी चाहिए। मंजूरी की शर्त हटाने की तैयारी में है ब्रिटेन।
आयरलैंड: केवल मां की जान को हो खतरे की स्थिति में ही अनुमति।
आयरलैंड: केवल मां की जान को हो खतरे की स्थिति में ही अनुमति।
चीन: किसी भी समय किसी भी स्थिति में अनुमति।
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साभार: जागरण समाचार
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