Thursday, October 8, 2015

लोकप्रिय होने के लिए जमीन से जुड़ना जरूरी

एन. रघुरामन (मैनेजमेंट फंडा)
सिबू एमके 42 साल के हैं और उनके साथी अप्पूकुट्‌टन 65 साल के हैं। केरल के कोच्चि से दोनों चिन्नम पाल्लीपुरम और पुनरप्पा नॉर्थ पंचायत से सीपीएम पार्टी से चुने गए ग्राम पंचायत के सदस्य हैं। दोनों की ग्राम पंचायतों का दायरा 25 वर्ग किलोमीटर है। यहां 6000 परिवार रहते हैं और आबादी 28 हजार है। क्षेत्र में व्हाइट सिलिका से समृद्ध बालू मिट्‌टी है ओर काजू और नारियल के पेड़ों से क्षेत्र पटा हुआ है। दोनों ने स्थानीय प्रशासन
के दो चुनाव लगातार जीते हैं और उन्हें पूरा भरोसा है कि वे तीसरा भी जीतेंगे। पंचायत प्रतिनिधि के रूप में दोनों का दैनिक काम दोपहर 12 बजे अपने-अपने दफ्तरों से शुरू होता है। कुछ समय वे रोजाना के कागजी कामों को निपटाने में देते हैं और इस दौरान जो कार्य उन्हें करने होते हैं, उनके लिए सिफारिशी पत्र लिखते हैं। इसके बाद खुद अलग-अलग कार्यालयों में जाते हैं और जरूरी अनुमति लेते हैं। कागजी काम पूरा होने के बाद अगर आवेदक पंचायत भवन आने को तैयार हो तो ठीक नहीं तो अगली सुबह उसके घर जा कर व्यक्तिगत रूप से देते हैं। 

उनकी टेबल हमेशा साफसुथरी रहती है और वे रोज ही अपना काम पूरा करते हैं और उनका यह व्यवहार राजनेताओं के प्रति उस आम शिकायत के खिलाफ है कि चुनाव जीतकर जनप्रतिनिधियों को अपने निर्वाचन क्षेत्र में वापस आने की कोई चिंता नहीं होती। क्या आपको आश्चर्य नहीं होगा कि जन प्रतिनिधि आपके दरवाजे पर आए और सुबह 6 बजे आपके कागज आपको सौंप दे? लेकिन दोनों सिर्फ नेता के रूप में वोटर के घर नहीं जाते, बल्कि उनकी तो जीविका भी उनके घरों से जुड़ी है। नारियल तोड़ने वाले के रूप में उनका काम सुबह 6 बजे से शुरू हो जाता है। वे 11 बजे तक काम खत्म कर लेते हैं और करीब पांच घंटे के इस काम से उन्हें 600 रुपए रोज की आमदानी हो जाती है। इसके बाद वे पंचायत सदस्य के रूप में पंचायत ऑफिस पहुंचते हैं। पहली बार 2005 में जब वे पंचायत सदस्य बने थे तो कुछ दोस्तों और परिवार के सदस्यों ने उन्हें यह काम छोड़ देने की सलाह दी थी, लेकिन उन्होंने नारियल तोड़ने का अपना काम जारी रखा जो वे परंपरागत रूप से करते रहे हैं। 
नारियल तोड़ने के काम की वजह से उन्हें रोज ही गांव के लोगों से मिलने का मौका मिल जाता है। कई लोग ऐसे होते हैं जो अपनी जरूरतों के लिए पंचायत ऑफिस या उनके घर नहीं आना चाहते, क्योंकि वहां बिचौलिए उनसे अनुचित मांग करते हैं, लेकिन कई योजनाओं के आवेदन पत्र देने, शिकायतें लेने या पंचायत दफ्तर में जमा करने के जरूरी कागज लेने ये नेता सीधे अपने वोटर के घर जाते हैं। दोनों हमेशा दस्तावेजों के सही होने की जांच करते हैं और सिर्फ वाजिब मामले ही अपने हाथ में लेते हैं। 
स्थानीय लोगों को अपने आंगन में नारियल तोड़ने का काम करने वाले और जमीन से जुड़े ये नेता पसंद हैं। यहां तक कि कई बार तो जब किसी गांव वाले को कोई काम करवाना होता है तो वे नारियल तोड़ने का ठेका इन पंचायत सदस्यों को सौंपने का ही फैसला करते हैं, क्योंकि इससे दो समस्याओं का समाधान हो जाता है- एक नारियल तोड़ने वालों की कमी की समस्या सुलझ जाती है और दूसरा उन्हें किसी तरह की अनुमति के लिए लाइन में भी खड़ा नहीं रहना पड़ता है। सिबू ने यह काम 1991 में शुरू किया था, जबकि अप्पूकुट्टन ने 50 साल पहले से कर रहे हैं और वे 60 सदस्यों की पंचायत में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। चूंकि वे अच्छी आय प्राप्त कर लेते हैं और महीने के 30 दिन उनके पास काम होता है, इसलिए पंचायत का हर माह का मानदेय 3500 रुपए वे अपने वार्ड की जरूरतों को पूरा करने के लिए दान कर देते हैं। 
फंडायह है कि प्रसिद्धिका सीधा संबंध आचरण के स्तर पर आपका जमीन से जुड़ा होना है, यह समाज में बड़ी भूमिका के लिए मार्ग प्रशस्त करता है।

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभारभास्कर समाचार 
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