Thursday, October 8, 2015

डीएनए पर अध्ययन के लिए तीन को नोबेल

स्वीडन के टॉमस लिंडाल, अमेरिका के पॉल मॉडरिश और तुर्क-अमेरिकी वैज्ञानिक अजीज सैंकर को इस साल रसायन शास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा। इन तीनों वैज्ञानिकों को यह पुरस्कार डीएनए की मरम्मत पर अध्ययन के लिए दिया जा रहा है। ‘रॉयल स्वीडिश अकेडमी ऑफ साइंसेज’ का कहना है कि इन वैज्ञानिकों के अध्ययन से इस बात का पता चला कि कैंसर जैसी परिस्थितियों में स्थिति किस तरह बिगड़ सकती है। इन वैज्ञानिकों ने बताया कि किस तरह जीवित कोशिकाएं काम करती हैं। कोशिकाएं किस तरह क्षतिग्रस्त डीएनए की मरम्मत करती हैं? कई आनुवंशिक बीमारियों का कारण क्या है? कैंसर कोशिकाओं के विकास और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया क्या है? पुरस्कार के तहत मिलने वाली लगभग 9.60 लाख डॉलर (लगभग 6.27 करोड़ रुपये) की राशि को तीनों विजेताओं के बीच बराबर-बराबर बांटा जाएगा। टॉमस ने कहा कि इस पुरस्कार के लिए चुने जाने पर मुङो ख़ुशी और गर्व है।

कैसे होती है डीएनए की मरम्मत: डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड को संक्षेप में डीएनए कहा जाता है। इसे जीवन के निर्माण और अस्तित्व का रासायनिक कोड माना जाता है। जब कोशिकाओं में विभाजन होता है, तो आणविक मशीन इस कोड को फिर से दोहराने का प्रयास करती है, जिससे नई कोशिका का निर्माण होता है। लेकिन किसी गड़बड़ी की वजह से नई कोशिका नष्ट हो जाती है या उसमें कोई खराबी आ जाती है। सूर्य की तीखी किरणों या पर्यावरण के चलते भी कोशिकाओं को नुकसान हो सकता है। ऐसे में एक एंजाइम अणुओं की मरम्मत करने वाली किट की तरह काम करता है। यह पूरी प्रक्रिया पर नजर रखता है और कोड को पढ़कर कोशिकाओं की खराबी को ठीक कर देता है।

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साभारजागरण समाचार 

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