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ट्रेन में सफर करते समय अक्सर यात्री अपने सामान की सुरक्षा को लेकर
चिंतित रहते हैं कि कहीं चोरी न हो जाए। सामान चोरी होने पर रेलवे पुलिस
की तरफ से मामला दर्ज करने की खाना पूर्ति की जाती है लेकिन यात्री को उसका
सामान नहीं मिल पाता। पर अब ऐसा नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के
अनुसार यदि रिज़र्व बोगी से किसी यात्री का सामान चोरी होता है तो इसकी
पूरी जिम्मेदारी रेलवे की होगी। रेलवे को सामान की पूरी कीमत यात्री को
चुकानी होगी। - छह माह का समय: सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराते समय यात्री को उपभोक्ता आवेदन फॉर्म भरकर जीआरपी और आरपीएफ को देना होगा। यदि चोरी होने के बाद छह महीने के अंदर रेलवे सामान ढूंढने में सफल नहीं हुई तो शिकायतकर्ता उपभोक्ता फोरम जाकर इसकी शिकायत कर सकता है। फोरम में जीआरपी और आरपीएफ को दिया उपभोक्ता आवेदन फॉर्म शिकायत का आधार बनेगा। जिस पर सुनवाई कर फोरम रेलवे को सामान की कीमत का भुगतान करने का फैसला सुना सकता है।
- पुलिस नहीं भरवाती फॉर्म: सामान चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराते समय यात्रियों से उपभोक्ता आवेदन फार्म नहीं भरवाया जाता है। चूंकि रेलवे पुलिस के लिए यह फार्म परेशानी का सबब बन सकता है इसलिए कहा जाता है कि रेल पुलिस जानबूझकर ऐसा नहीं करती। इसकी जानकारी भी यात्रियों को नहीं दी जाती। ट्रेन के डिब्बे में भी यह सूचना चस्पा नहीं रहती। चोरी के बाद जब मुसाफिर रिपोर्ट लिखाने जाता है तो सामान्य चोरी की रिपोर्ट ही दर्ज की जाती है।
- डाक्टर का केस बना आधार: राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने फरवरी 2014 में महिला डाक्टर के सामना चोरी के मामले में रेलवे प्रशासन को हर्जाना देने का आदेश दिया। रेलवे ने दलील दी कि ये मामला रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल में ही सुना जा सकता है। इस पर महिला डाक्टर के वकील ने दलील दी कि ट्रिब्यूनल में रेलवे में बुक पार्सल के मामले ही सुने जाते हैं। जस्टिस सीके प्रसाद और पिनाकी चंद्र घोष की डबल बैंच ने रेलवे की दलील को खारिज कर दिया। साथ ही राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के फैसले में दखल देने से इंकार कर दिया।
- बेटिकटों पर रहेगी नजर: कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि ट्रेन में ऐसा कोई भी व्यक्ति यात्रा नहीं करना चाहिए जिसके पास टिकट न हो। इसे रोकना और ऐसे लोगों पर नजर रखना टीटीई और रेलवे पुलिस की जिम्मेदारी है। ज्यादातर मामलों में बेटिकट यात्री ही चोरी को अंजाम देते हैं जिनकी डीटेल रेलवे के पास नहीं होती है।
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साभार:
भास्कर समाचार
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