Friday, January 30, 2015

डायबिटीज: कारण, लक्षण और उपचार

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काम में व्‍यस्‍तता के चलते मानसिक तनाव लेने वालों के लिए अच्‍छी खबर नहीं है। अगर आप काम काज के चलते अपने मन को आराम और समय पर खान-पान नहीं करते हैं, तो आप शुगर जैसी बीमारी के शिकार हो सकते हैं। बदलती जीवनशैली के बीच अनि‍यमि‍त खान-पान के चलते शुगर जैसी बीमारी अब आम बीमारी की श्रेणी में आ चुकी है। अकेले यूपी में डेढ़ करोड़ की आबादी मधुमेह की शिकार है। शुगर को हम डायबिटीज और मधुमेह के
नाम से भी जानते हैं। आपको जान कर हैरानी होगी कि मधुमेह रोग का असर ऐसे लोगों में ज्‍यादा फैलता है, जो कामकाज में व्‍यस्‍त रहने के कारण मानसि‍क रूप से थक जाते हैं। अगर समय रहते इस पर ध्‍यान नहीं दिया गया, तो इसके बदले मुफ्त में आंख, कि‍डनी और हृदय रोग से संबंधित बीमारि‍यां मि‍ल सकती हैं। जो लोग अपने कार्य की वजह से ज्‍यादा तनाव में रहते हैं या फि‍र जि‍नके पास आराम करने के लि‍ए समय नहीं रहता। उन लोगों में शुगर की बीमारी के फैलने की संभावना ज्‍यादा रहती है। वैसे यह वंशानुगत बीमारी भी होती है, लेकि‍न अत्‍यधि‍क तनाव के चलते पेट संबंधी बीमारियां उत्‍पन्‍न होने लगती हैं। इसके चलते मधुमेह के होने के आसार ज्‍यादा होता है।  
युवा वर्ग है सबसे ज्‍यादा प्रभावित: शुगर की गिरफ्त में सबसे ज्‍यादा युवा वर्ग है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण मोटापा और आरामतलब लाइफस्‍टाइल जि‍म्‍मेदार है। पि‍ज्‍जा, चि‍प्‍स, कोल्‍ड ड्रिंक्‍स और आम खानपान में रि‍फाइंड, पॉलिश कि‍ए गए खाद्य पदार्थ में फाइबर की कमी डायबटीज की समस्‍या मुख्‍य कारण है। उन्‍होंने बताया कि शुगर अग्‍नाशय में स्‍थि‍त वि‍शेष लैंगरहैंस द्वि‍पि‍काओं द्वारा एक वि‍शि‍ष्‍ट हारमोन इंसुलि‍न का पर्याप्‍त निर्माण न कर पाने के कारण होता है। यह हारमोन शरीर को शर्करा के सामान्‍य प्रयोग के लि‍ए समर्थ बनाता है। इसकी कमी के फलस्‍वरूप रक्‍त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है। जब यह एक निर्धारित स्‍तर तक पहुंच जाती है, तो गुर्दे इसकी मात्रा को मूत्र के जरि‍ए नि‍ष्‍कासि‍त कर देते हैं। आसान भाषा में इंसुलि‍न के निर्माण में गड़बड़ी के चलते रक्‍त में शुगर की मात्रा बढ़ जाने से डायबटीज की बीमारी उत्‍पन्‍न होती है। 
दो प्रकार के होते हैं डायबिटीज: मुख्‍य तौर पर डायबिटीज दो प्रकार के होते हैं। टाइप-1 में अग्‍नाशय पर्याप्‍त मात्रा में जब इंसुलि‍न का निर्माण नहीं कर पाता है, तो ऐसे रोगि‍यों को इंसुलि‍न देकर शर्करा को चयापचय के योग्‍य बनाया जाता है। टाइप-2 में अग्‍नाशय से पर्याप्‍त मात्रा में इंसुलि‍न नि‍कलता तो है, लेकि‍न उसका सही तरीके से इस्‍तेमाल नहीं हो पाता। ऐसे रोगि‍यों को खाने वाली दवाएं दी जाती हैं। प्री-डायबीटीज में रक्‍त में शुगर की मात्रा ज्‍यादा होती है। पैरों और सांस से आ रही बदबू से ऐसे लोगों की पहचान की जाती है। 
डायबिटीज के कारण: शरीर में डायबि‍टीज होने के कई कारण होते हैं। इसमें व्यायाम का अभाव, मानसिक तनाव, अत्यधिक नींद, मोटापा, चीनी और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट के अत्यधिक सेवन, वंशानुगत कारक शामि‍ल होते हैं। 
प्रमुख लक्षण: इसके प्रमुख लक्षणों में घाव का ठीक न होना, शरीर के प्राइवेट पार्ट में खुजली होना व जल्‍दी ठीक न होना, वजन बि‍ना कि‍सी कारण के बढना या तेजी से गि‍रना, गर्दन व कुहनी के नीचे के भाग में ज्‍यादा कालापन आना, अत्‍यधि‍क प्‍यास लगना, नेत्र ज्‍योति में परि‍वर्तन, बार-बार रात के समय पेशाब आना, पैरों का सुन्न होना, हमेशा भूख महसूस करना शामि‍ल हैं। 
बचाव: इसके लि‍ए वजन को नि‍यंत्रण में रखने के साथ ही रोजाना व्‍यायाम करना चाहि‍ए। तनाव और चिंता से दूर रहना चाहि‍ए। धूम्रपान से दूर रह कर नि‍यमि‍त शुगर की जांच कराना चाहि‍ए। फल-सब्‍जि‍यों का अधि‍क प्रयोग करते हुए ज्‍यादा देर तक भूखा नहीं रहना चाहि‍ए। 
डायबिटीज के मरीज कर सकते हैं किसी भी फल का सेवन: अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं और अपना पसंद का फल नहीं खा पा रहे हैं, तो अब से कोई भी फल निश्चित मात्रा में लेना शुरू कर सकते हैं। नरसिंह वर्मा ने बताया कि फलों में कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन, मिनरल और ग्लूकोज होता है। फल शरीर में निश्चित मात्रा में ग्लूकोज पहुंचाते हैं, जोकि शरीर के लिए आवश्यक होता है। उन्होंने बताया कि गन्ने से बनी चीनी रसायनिक प्रक्रिया से होकर गुजरती है। इसके कारण चीनी का ग्लूकोज सीधे रक्त में मिल जाता है। डायबिटीज के मरीजों में इतनी तेजी से इंसुलिन नहीं बन पाता। इसके कारण चीनी का पहुंचा ग्लूकोज काफी हद तक नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने बताया कि अंगूर, आम, अमरुद, केला जैसे कोई भी फल डायबिटीज के मरीज खा सकते हैं, लेकिन इनकी मात्रा निश्चित होनी चाहिए। वर्मा ने बताया इसके बारे में अपने डॉक्‍टर की भी सलाह लेनी चाहिए। मोटे लोगों को कम फल की मात्रा और दुबले लोगों को ज्यादा फल लेने की सलाह दी जाती है। 
आयुर्वेद में डायबिटीज: राजकीय आयुर्वेद कॉलेज के डीन अखिलेंद्र कुमार ने बताया कि आयुर्वेद में डायबिटीज मेलिटस को मधुमेह के रूप में जानते हैं। मधुमेह जिसे दो अलग रूपों में देखने पर सही अर्थ का पता चलता है। मधु का अर्थ शहद और मेह का अर्थ मूत्र से है। आयुर्वेद में मधुमेह को वतज मेह के रूप में भी जानते हैं। आयुर्वेद के अनुसार मधुमेह का मुख्य लक्षण पाचन तंत्र में असमान्य परिवर्तन होना और इन्सुलिन के स्त्राव में कमी होना इत्यादि है। 
डाइट और जीवन शैली को सुधारने की सलाह: डायबि‍टीज के रोगि‍यों को गेहूं की रोटी, पास्ता, भूरे चावल आदि का सेवन करना चाहिए। दूध के साथ तैयार पनीर और दही लिया जा सकता है। लहसुन, प्याज, करेला, पालक, कच्चा केला, और काले बेर का सेवन करें। 
घरेलू उपचार: दिन में एक बार 2 चम्मच करेले के रस का सेवन करें। दिन में दो बार 1 चम्मच मेथी के पाउडर का सेवन पानी के साथ अवश्य करें। दिन में एक बार 2 चम्मच लौकी के रस को एक चम्मच आंवला के रस के साथ मिलकर लें। 
सन 2025 तक भारत दुनि‍या में डायबिटीज का वर्ल्‍ड कैपि‍टल: वर्तमान में वि‍श्‍व में तकरीबन 12 फीसदी आबादी इससे ग्रसि‍त है। वि‍श्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की एक रि‍पोर्ट के अनुसार साल 2025 तक भारत डायबिटीज के मामले में वर्ल्‍ड कैपि‍टल हो जाएगा। वर्तमान में पूरे भारत में साढ़े छह करोड़ से अधिक की आबादी इससे ग्रसि‍त है। आने वाले दि‍नों में यह संख्‍या 10 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। इंडि‍यन डायबिटीज एसोसि‍एशन के मुताबि‍क मधुमेह शहरी जीवन शैली में बदलाव, अधि‍क मसालेदार भोजन, कम व्‍यायाम, बढ़ता तनाव, जेनेटि‍क और पर्यावरणीय कारणों से डायबिटीज का खतरा 60 फीसदी बढ़ जाता है। मधुमेह के रोगि‍यों में अन्‍य रोगि‍यों की तुलना में हार्ट अटैक अधि‍क होता है। 
चि‍कि‍त्‍सा वि‍ज्ञानी सुश्रुत ने बताया था मधुमेह की परि‍भाषा: ईसा पूर्व पांचवी शताब्‍दी में देश के प्रसि‍द्ध चि‍कि‍त्‍सा वि‍ज्ञानी सुश्रुत ने मधुमेह के बारे में जानकारी देते हुए बताया था कि इस रोग में रोगी का मूत्र मीठा हो जाता है। मधुमेह से बचने के लि‍ए उन्‍होंने उपवास, मीठे पदार्थों से परहेज और जड़ी बूटि‍यों के सेवन की सलाह दी थी। नरसिंह ने बताया कि 19वीं शताब्‍दी के उत्‍तरार्ध में यह रोग तेजी से फैला।
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साभार: भास्कर समाचार
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