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हरियाणा सरकार आरक्षित श्रेणी के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण का
लाभ दे सकती है। राज्य मंत्रिमंडल की शुक्रवार को यहां होने वाली बैठक में
राघवेंद्र कमेटी की सिफारिशों पर मुहर लगने की पूरी संभावना है। राघवेंद्र
कमेटी ने पदोन्नति के समय अनुसूचित जाति के कर्मचारियों के सामाजिक, आर्थिक
पिछड़ेपन, अपर्याप्त प्रतिनिधित्व और समग्र प्रशासनिक क्षमता को ध्यान में
रखते हुए खाका तैयार किया है। मंत्रिमंडल की मुहर लगने के बाद राघवेंद्र
कमेटी की इन सिफारिशों को प्रदेश सरकार पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पेश
कर सकती है। आइएएस अधिकारी पी राघवेंद्र राव के नेतृत्व
वाली कमेटी ने अनुसूचित जाति के कर्मचारियों से संबंधित आंकड़े जुटाए। अगर राज्य सरकार इन आंकड़ों को हाईकोर्ट में प्रस्तुत करेगी तो रिजर्व और सामान्य श्रेणी के कर्मियों को राहत मिलना तय है। 14 नवंबर 2014 को हाईकोर्ट ने राजबीर बनाम हरियाणा सरकार केस में फैसला सुनाते हुए पूर्व हुड्डा सरकार की 28 फरवरी 2013 की आरक्षण नीति को रद कर दिया था। हालांकि हाईकोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण के औचित्य के विपरीत कोई टिप्पणी नहीं दी थी। कर्मचारी नेताओं की दलील थी कि पूर्व हुड्डा सरकार ने राघवेंद्र कमेटी की रिपोर्ट को आधार बनाकर रिजर्व श्रेणी के कर्मचारियों को पदोन्नत किया होता तो दिक्कतें नहीं आती। हाईकोर्ट के फैसले पर कार्रवाई के लिए सरकार को तीन माह की मोहलत दी गई थी। 14 फरवरी को 2015 को यह समय पूरा हो रहा है। लिहाजा मंत्रिमंडल की मंजूरी लेने के बाद सरकार राघवेंद्र समिति की रिपोर्ट 14 फरवरी से पहले कभी भी हाईकोर्ट में पेश कर सकती है। इससे आरक्षण पाए कर्मचारियों को राहत मिल सकती है। अगर सरकार ने समय रहते उचित कदम नहीं उठाए तो न्यायालय का निर्णय लागू होने से रिजर्व श्रेणी के कर्मचारियों की डिमोशन होगी, जबकि सामान्य श्रेणी के कर्मचारियों को लाखों की रिकवरी पड़ेगी। प्रोन्नत हुए रिजर्व कर्मचारियों का हवाला देकर सामान्य श्रेणी के कर्मचारियों ने अपना वेतन उनके बराबर कराया था।
गरीब युवाओं को नौकरी के लिए आयु में छूट संभव: हरियाणा सरकार नौकरियों में आवेदन करने के लिए सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर अभ्यर्थियों को आयु में छूट प्रदान कर सकती है। अभी तक यह आयु 42 साल है, जिसे बढ़ाकर 47 साल किया जा सकता है। शारीरिक रूप से अक्षम और विशेष पिछड़ा वर्ग के युवाओं को 47 साल की आयु तक नौकरी के लिए आवेदन करने की छूट है।
वाली कमेटी ने अनुसूचित जाति के कर्मचारियों से संबंधित आंकड़े जुटाए। अगर राज्य सरकार इन आंकड़ों को हाईकोर्ट में प्रस्तुत करेगी तो रिजर्व और सामान्य श्रेणी के कर्मियों को राहत मिलना तय है। 14 नवंबर 2014 को हाईकोर्ट ने राजबीर बनाम हरियाणा सरकार केस में फैसला सुनाते हुए पूर्व हुड्डा सरकार की 28 फरवरी 2013 की आरक्षण नीति को रद कर दिया था। हालांकि हाईकोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण के औचित्य के विपरीत कोई टिप्पणी नहीं दी थी। कर्मचारी नेताओं की दलील थी कि पूर्व हुड्डा सरकार ने राघवेंद्र कमेटी की रिपोर्ट को आधार बनाकर रिजर्व श्रेणी के कर्मचारियों को पदोन्नत किया होता तो दिक्कतें नहीं आती। हाईकोर्ट के फैसले पर कार्रवाई के लिए सरकार को तीन माह की मोहलत दी गई थी। 14 फरवरी को 2015 को यह समय पूरा हो रहा है। लिहाजा मंत्रिमंडल की मंजूरी लेने के बाद सरकार राघवेंद्र समिति की रिपोर्ट 14 फरवरी से पहले कभी भी हाईकोर्ट में पेश कर सकती है। इससे आरक्षण पाए कर्मचारियों को राहत मिल सकती है। अगर सरकार ने समय रहते उचित कदम नहीं उठाए तो न्यायालय का निर्णय लागू होने से रिजर्व श्रेणी के कर्मचारियों की डिमोशन होगी, जबकि सामान्य श्रेणी के कर्मचारियों को लाखों की रिकवरी पड़ेगी। प्रोन्नत हुए रिजर्व कर्मचारियों का हवाला देकर सामान्य श्रेणी के कर्मचारियों ने अपना वेतन उनके बराबर कराया था।
गरीब युवाओं को नौकरी के लिए आयु में छूट संभव: हरियाणा सरकार नौकरियों में आवेदन करने के लिए सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर अभ्यर्थियों को आयु में छूट प्रदान कर सकती है। अभी तक यह आयु 42 साल है, जिसे बढ़ाकर 47 साल किया जा सकता है। शारीरिक रूप से अक्षम और विशेष पिछड़ा वर्ग के युवाओं को 47 साल की आयु तक नौकरी के लिए आवेदन करने की छूट है।
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साभार: जागरण समाचार
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