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क्या आप जानते हैं, प्रत्येक व्यक्ति का अपना एक अलग आभामंडल होता है।
आभामंडल का अर्थ है हमारे शरीर के आसपास रहने वाली अदृश्य ऊर्जा। यही ऊर्जा
समाज और घर-परिवार में हमारी अच्छी या बुरी छबि निर्मित करती है। जिस
प्रकार इंसान का आभामंडल होता है, ठीक उसी प्रकार हमारे घर का भी आभामंडल
होता है। यदि आपके घर का आभामंडल
सकारात्मक और शुभ होगा तो समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। यदि घर में नकारात्मक ऊर्जा रहेगी तो आभामंडल भी बुरा असर दिखा सकता है। इसी वजह से घर में ऐसी बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे घर के आभामंडल से हमें भी सकारात्मक ऊर्जा मिलती रहे। आज काफी लोग वास्तु और फेंगशुई (चीन का वास्तुशास्त्र) के सिद्धांतों के आधार पर घर बनवाए और सजाए जा रहे हैं। वास्तु और फेंगशुई पूरी तरह से सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के सिद्धांतों पर ही काम करता है। यदि घर में कोई वास्तु दोष होता है तो नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। मान्यता है कि यदि घर में सकारात्मक वातावरण और सकारात्मक वस्तुएं रहेंगी, तो निश्चित ही हमें कार्यों में भी सफलता प्राप्त होगी और धन संबंधी परेशानियों से मुक्ति मिलेगी। वास्तु के अनुसार आठ दिशाएं बताई गई हैं। इन आठों दिशाओं का अलग-अलग महत्व है और हर दिशा के लिए अलग-अलग नियम हैं। वास्तु के अनुसार, घर के उत्तर-पूर्व कोने में किसी अविवाहित स्त्री को नहीं सोना चाहिए। यदि घर में किसी दिशा में कोई गलत वस्तु रखी है, तो इसका बुरा असर वहां रहने वाले सभी सदस्यों पर पड़ता है। जानिए, घर की किस दिशा में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए:
सकारात्मक और शुभ होगा तो समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। यदि घर में नकारात्मक ऊर्जा रहेगी तो आभामंडल भी बुरा असर दिखा सकता है। इसी वजह से घर में ऐसी बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे घर के आभामंडल से हमें भी सकारात्मक ऊर्जा मिलती रहे। आज काफी लोग वास्तु और फेंगशुई (चीन का वास्तुशास्त्र) के सिद्धांतों के आधार पर घर बनवाए और सजाए जा रहे हैं। वास्तु और फेंगशुई पूरी तरह से सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के सिद्धांतों पर ही काम करता है। यदि घर में कोई वास्तु दोष होता है तो नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। मान्यता है कि यदि घर में सकारात्मक वातावरण और सकारात्मक वस्तुएं रहेंगी, तो निश्चित ही हमें कार्यों में भी सफलता प्राप्त होगी और धन संबंधी परेशानियों से मुक्ति मिलेगी। वास्तु के अनुसार आठ दिशाएं बताई गई हैं। इन आठों दिशाओं का अलग-अलग महत्व है और हर दिशा के लिए अलग-अलग नियम हैं। वास्तु के अनुसार, घर के उत्तर-पूर्व कोने में किसी अविवाहित स्त्री को नहीं सोना चाहिए। यदि घर में किसी दिशा में कोई गलत वस्तु रखी है, तो इसका बुरा असर वहां रहने वाले सभी सदस्यों पर पड़ता है। जानिए, घर की किस दिशा में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण): यह दिशा दैवीय शक्तियों के लिए श्रेष्ठ होती है। इस दिशा का प्रतिनिधित्व स्वयं दैवीय शक्तियां ही करती हैं। इसलिए यहां मंदिर होना बहुत शुभ रहता है। इस स्थान पर हमेशा साफ-सफाई रहनी चाहिए। इस स्थान पर मंदिर के साथ ही पानी से संबंधित उपकरण भी रखे जा सकते हैं। यदि कोई स्त्री अविवाहित है, तो उसे इस कोने में सोना नहीं चाहिए। इस कोने में कोई अविवाहित स्त्री सोती है तो उसके विवाह में विलंब हो सकता है या स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। घर के इस कोने में बाथरूम और टॉयलेट नहीं होना चाहिए। साथ ही, यहां भारी वस्तुएं भी नहीं रखें।
- दक्षिण-पूर्व दिशा (आग्नेय कोण): इस कोण का प्रतिनिधित्व अग्नि करती है। इसलिए इस दिशा में विशेष ऊर्जा रहती है। इस स्थान पर रसोईघर होना सबसे अच्छा रहता है। यहां विद्युत उपकरण भी रखे जा सकते हैं। अग्नि स्थान होने के कारण यहां पानी से संबंधित चीजें नहीं रखनी चाहिए। आग्नेय कोण में खाना भी नहीं खाना चाहिए, यानी इस स्थान पर डायनिंग हॉल अशुभ होता है।
- दक्षिण-पश्चिम दिशा (नैऋत्य कोण): इस स्थान का प्रतिनिधित्व पृथ्वी तत्व करता है। इसीलिए यहां प्लांट रखना बहुत शुभ होता है। पौधों में यह शक्ति होती है कि वे हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण कर सकते हैं। इस स्थान पर पौधे रखेंगे, तो आपके घर की पवित्रता और सकारात्मकता बनी रहती है। यहां मुख्य बेडरूम भी शुभ फल देता है। इसके अलावा, यहां स्टोर रूम भी बनाया जा सकता है। नैऋत्य कोण में भारी वस्तुएं भी रखी जा सकती हैं। यहां कार पार्किंग का स्थान का बनाया जा सकता है। इन बातों का ध्यान रखेंगे तो आपके घर में ऊर्जा का संतुलन बना रहेगा।
- उत्तर-पश्चिम दिशा (वायव्य कोण): वायु इस कोण का प्रतिनिधित्व करती है। इस वजह से यहां खिड़की या रोशनदान का होना बहुत शुभ रहता है। यहां ताजी हवा के लिए स्थान होगा तो हमें स्वास्थ्य संबंधी कई लाभ प्राप्त होते हैं। यहां ताजी हवा आने का स्थान होगा, तो कुछ ही दिनों में पारिवारिक रिश्तों में मधुरता आ जाती है। घर में किसी प्रकार का क्लेश नहीं होता है और ना ही स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां रहती हैं। इस स्थान पर कन्या का कमरा बनाया जा सकता है। यहां मेहमानों के रहने की व्यवस्था की जा सकती है। यहां दूसरे फ्लोर पर जाने के लिए सीढ़ियां भी बनाई जा सकती हैं।
- पूर्व दिशा: इस दिशा से आपके घर में खुशियां और सकारात्मक ऊर्जा आती है। इस वजह से यहां मुख्य दरवाजा बनाया जा सकता है। यहां खिड़की, बालकनी बनाई जा सकती है। यहां पर बच्चों के लिए कमरा भी बनवाया जा सकता है। यदि आप इस स्थान पर पढ़ाई या अध्ययन संबंधी कार्य करते हैं तो आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। आपके घर में यदि यहां रसोईघर है, तो खाना बनाते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। यदि यह संभव न हो तो आप अपना मुख पश्चिम दिशा की ओर भी रख सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि इस स्थान पर खाना बनाते समय आपका मुख दक्षिण दिशा की ओर नहीं होना चाहिए। ऐसा होने पर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं और यह वास्तु दोष उत्पन्न करता है।
- पश्चिम दिशा: वास्तु के अनुसार, इस दिशा के स्वामी वरुण देव हैं। इस स्थान पर डायनिंग हॉल बनवा सकते हैं। यहां सीढ़ियां बनवाई जा सकती हैं। यहां कोई भारी निर्माण कार्य भी करवाया जा सकता है। पश्चिम दिशा में दर्पण लगाना भी बहुत शुभ होता है। यहां बाथरूम भी बनवाया जा सकता है। गेस्ट रूम भी बनवाया जा सकता है। यहां स्टडी रूम भी शुभ फल प्रदान करता है।
- उत्तर दिशा: इस दिशा का प्रतिनिधित्व धन के देवता करते हैं। इस वजह से यहां नकद धन और मूल्यवान वस्तुएं रखी जा सकती हैं। यहां मुख्य दरवाजा भी श्रेष्ठ फल देता है। यहां बैठक की व्यवस्था भी की जा सकती है या ओपन एरिया भी रखा जा सकता है। यहां बाथरूम भी बनवा सकते हैं। ध्यान रखें, इस दिशा में बेडरूम नहीं बनवाना चाहिए। यहां स्टोर रूम, स्टडी रूम या भारी मशीनरी नहीं होनी चाहिए।
- दक्षिण दिशा: यह स्थान मृत्यु के देवता का स्थान है। यहां भारी सामान रखा जा सकता है। इस स्थान पर रसोईघर भी हो सकता है। यहां पानी का टैंक बनवा सकते हैं और सीढ़ियां बनवा सकते हैं। यहां बच्चों का कमरा नहीं बनवाना चाहिए। स्टडी रूम, बाथरूम और खिड़की नहीं होनी चाहिए। यदि इस स्थान पर बेडरूम है तो सोते समय हमारा सिर दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।
- घर के मध्य का हिस्सा: घर के बीच का हिस्सा खुला रहने से बहुत शुभ रहता है। इस स्थान पर तुलसी का पौधा लगाया जा सकता है। यहां प्रकाश के लिए पूरी व्यवस्था होनी चाहिए। इस स्थान से ही पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है।
कुछ अन्य बातें जिनका ध्यान रखने से बढ़ेगी सकारात्मक ऊर्जा:
- प्रवेश द्वार सदैव साफ रखें: घर का प्रवेश द्वार सदैव साफ रखना चाहिए। प्रवेश द्वार पर हमेशा पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए। ऐसा करने पर घर में सदैव सकारात्मक ऊर्जा आती है।
- ऐसी दहलीज बनवाएं: यदि संभव हो तो प्रवेश द्वार पर लकड़ी की थोड़ी ऊंची दहलीज बनवाएं। जिससे बाहर का कचरा अंदर ना सके। कचरा भी वास्तु दोष बढ़ाता है।
- प्रवेश द्वार पर लगाएं गणेशजी की मूर्ति: प्रवेश द्वार पर गणेशजी की मूर्ति या तस्वीर या स्टीकर आदि लगाए जा सकते हैं। यदि आप चाहे तो दरवाजे पर ऊँ भी लिख सकते हैं। घर के प्रवेश द्वार पर ये शुभ चिह्न बनाने से देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
- फूलों की सुंदर तस्वीर लगाएं: प्रवेश द्वार के सामने फूलों की सुंदर तस्वीर लगाएं। द्वार के सामने लगाने के लिए सूरजमुखी के फूलों की तस्वीर पवित्र और शुभ मानी गई है।
- इस दिशा में अंधेरा न रखें: घर के नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र) में अंधेरा न रखें तथा वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम क्षेत्र) में तेज रोशनी का बल्व न लगाएं।
- घर में शांति बनाए रखें: घर के सदस्य परस्पर सहयोग व शांति से रहें। लड़ने-झगड़ने अथवा चिल्लाकर बोलने से आभामंडल पर बुरा असर होता है।
- घर आसपास से पेड़ का ठूंठ नहीं होना चाहिए: घर के आसपास यदि कोई सूखा पेड़ या ठूंठ है तो उसे तुरंत हटा देना चाहिए। वास्तु के अनुसार सूखे पेड़ या ठूंठ से घर में नकारात्मक ऊर्जा में बढ़ोतरी हो सकती है। घर के आसपास सुंदर और हरे-भरे वृक्ष होना चाहिए।
- तुलसी के पास रोज शाम को लगाएं दीपक: घर में तुलसी का पौधा रहता है तो कई प्रकार के वास्तु दोष दूर रहते हैं। तुलसी के पौधे का पास रोज शाम को दीपक भी लगाना चाहिए।
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साभार:
भास्कर समाचार
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