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रोजाना की आदतों का सीधा असर हमारे वजन पर पड़ता है। नियमित एक्सरसाइज़ और
समय पर खानपान मेटाबॉलिज़्म सही रखता है। यही कैलोरी बर्न करने में अहम
भूमिका निभाता है। यदि आप कुछ आदतों को अपना लें तो अपना मेटाबॉलिज़्म बढ़ा
सकती हैं।
- डिनर में लाल मिर्च शामिल करें: एपेटाइट फंड जर्नल द्वारा की गई एक स्टडी में सामने आया है कि यदि लोग डिनर में लाल मिर्च का प्रयोग करते हैं तो उनका पेट ज्यादा भरा रहता है। यही नहीं, वे सामान्य की तुलना में 30 प्रतिशत कम भोजन करते हैं। मिर्च में मौजूद तत्व खाने की इच्छा को कम करने के साथ ही भूख को नियंत्रित करते हैं।
- ज्यादा देर एक जगह न बैठें: पेट भर के खाना खाने के बाद रिलेक्स मूड में या फिर काम के कारण आप कंप्यूटर या टीवी के सामने देर रात तक घंटों बैठे रहती हैं तो सचेत हो जाएं। ढेर सारा अाटा पेट में भरने के बाद तीन घंटे या उससे ज्यादा समय एक जगह बैठने से आपके मेटाबॉलिक सिंड्रोम से ग्रस्त होने की आशंका 74 फीसदी तक बढ़ जाती है। आप डायबिटीज़, दिल संबंधी बीमारियों, मोटापा, हाई ब्लडप्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल की शिकार हो सकती हैं। दो घंटे से ज्यादा एक जगह पर बैठने से इंसुलिन सेंसेटिविटी बढ़ती है, फैट कम बर्न होता है।
- फल सब्जियां धोकर खाएं: आपकी भी आदत अगर सेब को बिना धोए खाने की है,तो इसे तुरंत बदल डालें। 2012 में हुई एन्वायरमेंटल हेल्थ परस्पेक्टिव स्टडी के मुताबिक फलों और सब्जियों में मौजूद कीटनाशक सेहत पर बुरा असर डालते हैं। इसके कारण मोटापा बढ़नेऔर मेटाबॉलिक सिंड्राेम हाेने की आशंका बढ़ जाती है। जो फल या सब्जी खाएं,उसे पहले धो लें। लुसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी के पेनिंंगटन बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर द्वारा की गई ने एक अनुसंधान में एडिनोवायरस 36 और ओबेसिटी के बीच की एक कड़ी को खोजा है। इसके मुताबिक वायरल इंफेक्शन को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम जब भी कुछ खाएं तो हमेशा हाथ धोकर खाएं, जो कई बार हम भूल जाते हैं। इस आदत को अपनाएं।
- फाइबर फ़ूड को शमिल करें डाइट में: अनाज, फल, पत्तेदार सब्जियों और फूड प्रोडक्ट्स के उस हिस्से को फाइबर कहते हैं जो बिना पचे व अवशोषित हुए ही आंत के जरिए बाहर निकल जाता है, जिससे पेट व आंत की सफाई भी आसानी से हो जाती है। न चिपकने वाला फाइबर भरपूर मात्रा में लेने से कई तरह की दूसरी पाचन संबंधी गंभीर समस्याएं भी दूर हो जाती हैं। कब्ज हो जाने पर आंत की अंदरूनी सतह क्षतिग्रस्त हो जाती है और छोटी-छोटी थैलियां-सी बन जाती हैं। रेशेयुक्त भोजन करने से मल मुलायम हो कर आसानी से बाहर निकल जाता है। इस तरह फाइबर की अधिक मात्रा आंत के आसपास पड़ने वाले दबावों को रोकने में मदद करती है। रेशेदार खाना पाइल्स रोग से भी बचाता है, पेट में गैस नहीं बनती और पाचनतंत्र ठीक रहता है। साथ ही शरीर को पर्याप्त ऊर्जा भी मिलती है। फाइबर शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने से रोकता भी है। भोजन में फाइबर का होना उतना ही आवश्यक है, जितना प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स। फाइबर एक महत्वपूर्ण एंटी-ऑक्सीडेंट भी है। जिन खाद्य पदार्थों में फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है, उनमें लो कैलोरी होती है और वे ज़रूरी माइक्रो न्यूट्रिएंट्स और एंटी-ऑक्सीडेंट्स के अच्छे स्रोत होते हैं, जैसे ऑरेंज फाइबर,विटामिन सी और एंटी-ऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत है। सेब, ब्रोकली, खीरा, गाजर, ओट, जौ और गेहूं में भी फाइबर बहुत होता है।
फाइबर दो तरह के होते हैं। डॉक्टर के अनुसार, एक सॉल्युबल फाइबर होता है जो
पानी में घुल सकता है। इस प्रकार का फाइबर खट्टे फलों, बींस, ओट, जौ, सूखी
फलियों, दालों, मटर, सोया मिल्क और सोया उत्पादों में पाया जाता है। घुलने
वाले फाइबरयुक्त पदार्थ कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करने के साथ-साथ रक्त में
शर्करा स्तर को भी कर करते हैं। दूसरे प्रकार का फाइबर साबुत नहीं होता है।
इस तरह के फाइबर साबुत अनाजों, आटा, आटे की भूसी, चावल की भूसी, फलों व
सब्जियों के छिलकों, सूखे मेवों, बीजों में पाया जाता है। इस तरह के फाइबर
के सेवन से कब्ज की शिकायत दूर होती है और डाइजेस्टिव ट्रैक हेल्दी बना
रहता है।
कितनी मात्रा में लें: डॉक्टरों के अनुसार, 50 वर्ष से अधिक की महिला को 1 दिन में 21 ग्राम और पुरुषों को 30 ग्राम फाइबर लेना चाहिए, वहीं 50 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं को 25 ग्राम व पुरुषों को 38 ग्राम फाइबर लेना चाहिए, अन्यथा कब्ज की समस्या हो सकती है। डायटीशियन के अनुसार, फाइबर एक ऐसा न्यूट्रिएंट है जिसके महत्व के बारे में ज्यादा लोग जानते हैं, फिर भी अपने भोजन में शामिल करने की बात आते ही इसे नज़रअंदाज कर जाते हैं। फाइबर एक इनडाइजेटेबल पदार्थ होता है जो पौधों की बाहरी परतों में पाया जाता है। फाइबर एक विशेष तरह का कार्बोहाइड्रेट होता है जो पाचनतंत्र से बिना बदले, बिना टूटे न्यूट्रिएंट्स में बदलता हुआ गुजरता है। फाइबर का खास काम होता है पाचनतंत्र को हेल्दी रखना। इससे शरीर से मल व टॉक्सिन तेजी से बाहर निकलने में मदद मिलती है। ऐसा न होने पर कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।
हड्डियों को मजबूत करने के लिए: आहार विशेषज्ञ मानते हैं कि फाइबर केवल दिल को ही मजबूत नहीं करता, बल्कि इससे हड्डियां भी मजबूत होती हैं। आर्थराइटिस फाउंडेशन ऑफ इंडिया के क्लीनिकल अध्ययनों के अनुसार, जिन लोगों के खाने में फाइबर की मात्रा बेहतर रही है, उनमें कम फाइबर लेने वालों की अपेक्षा जोड़ों की समस्या कम देखी गई। 1 महीने में शरीर को कम से कम 700 ग्राम फाइबर की आवश्यकता होती है। हाई फाइबर डाइट से पेट जल्दी भर जाता है और भूख पर भी नियंत्रण रहता है। अत्यधिक फाइबर युक्त भोजन को चबाने में अधिक समय लगता है, यानी आप धीरे-धीरे खाना खाएंगे। इस तरह खाने की मात्रा में कमी हो जाएगी और आप कैलोरी भी अधिक मात्रा में नहीं लेंगे। फाइबरयुक्त पदार्थों का सेवन करने से रक्त प्रवाह में शर्करा का स्राव भी धीमी गति से होता है, जिससे चीनी की मात्रा नियंत्रित रहने से बार-बार भूख नहीं लगती है और हर समय खाने से बच जाते हैं। अगर निधार्रित मात्रा से अधिक फाइबर का सेवन किया जाता है, तो उस का गलत प्रभाव पड़ सकता है। अत्यधिक फाइबर का सेवन करने से ज़रूरी मिनरल्स, जैसे जिंक, कैल्शियम व आयरन की कमी हो सकती है। ये खनिज फाइबर को कई बार जकड़ लेते है जिस की वजह से वे शरीर से खनिजों को रक्त प्रवाह में जाने दिए बिना निकल जाते हैं।
कितनी मात्रा में लें: डॉक्टरों के अनुसार, 50 वर्ष से अधिक की महिला को 1 दिन में 21 ग्राम और पुरुषों को 30 ग्राम फाइबर लेना चाहिए, वहीं 50 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं को 25 ग्राम व पुरुषों को 38 ग्राम फाइबर लेना चाहिए, अन्यथा कब्ज की समस्या हो सकती है। डायटीशियन के अनुसार, फाइबर एक ऐसा न्यूट्रिएंट है जिसके महत्व के बारे में ज्यादा लोग जानते हैं, फिर भी अपने भोजन में शामिल करने की बात आते ही इसे नज़रअंदाज कर जाते हैं। फाइबर एक इनडाइजेटेबल पदार्थ होता है जो पौधों की बाहरी परतों में पाया जाता है। फाइबर एक विशेष तरह का कार्बोहाइड्रेट होता है जो पाचनतंत्र से बिना बदले, बिना टूटे न्यूट्रिएंट्स में बदलता हुआ गुजरता है। फाइबर का खास काम होता है पाचनतंत्र को हेल्दी रखना। इससे शरीर से मल व टॉक्सिन तेजी से बाहर निकलने में मदद मिलती है। ऐसा न होने पर कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।
हड्डियों को मजबूत करने के लिए: आहार विशेषज्ञ मानते हैं कि फाइबर केवल दिल को ही मजबूत नहीं करता, बल्कि इससे हड्डियां भी मजबूत होती हैं। आर्थराइटिस फाउंडेशन ऑफ इंडिया के क्लीनिकल अध्ययनों के अनुसार, जिन लोगों के खाने में फाइबर की मात्रा बेहतर रही है, उनमें कम फाइबर लेने वालों की अपेक्षा जोड़ों की समस्या कम देखी गई। 1 महीने में शरीर को कम से कम 700 ग्राम फाइबर की आवश्यकता होती है। हाई फाइबर डाइट से पेट जल्दी भर जाता है और भूख पर भी नियंत्रण रहता है। अत्यधिक फाइबर युक्त भोजन को चबाने में अधिक समय लगता है, यानी आप धीरे-धीरे खाना खाएंगे। इस तरह खाने की मात्रा में कमी हो जाएगी और आप कैलोरी भी अधिक मात्रा में नहीं लेंगे। फाइबरयुक्त पदार्थों का सेवन करने से रक्त प्रवाह में शर्करा का स्राव भी धीमी गति से होता है, जिससे चीनी की मात्रा नियंत्रित रहने से बार-बार भूख नहीं लगती है और हर समय खाने से बच जाते हैं। अगर निधार्रित मात्रा से अधिक फाइबर का सेवन किया जाता है, तो उस का गलत प्रभाव पड़ सकता है। अत्यधिक फाइबर का सेवन करने से ज़रूरी मिनरल्स, जैसे जिंक, कैल्शियम व आयरन की कमी हो सकती है। ये खनिज फाइबर को कई बार जकड़ लेते है जिस की वजह से वे शरीर से खनिजों को रक्त प्रवाह में जाने दिए बिना निकल जाते हैं।
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साभार:
भास्कर समाचार
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