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हार्मोन शरीर के सिस्टम को सुचारु बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। ये
पूरे शरीर की गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं। यह अलग बात है कि हममें
से ज़्यादातर लोग इनके बारे में नहीं जानते। आज हम आपको हार्मोन्स और इनमें
होने वाले असंतुलन के कारण पैदा होने वाली समस्याओं के बारे में बताने जा
रहे हैं।
- हार्मोन संतुलन है जरूरी: हार्मोन असंतुलन होने पर कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। हार्मोन्स न सिर्फ शरीर की वृद्धि और विकास को प्रभावित करते हैं, बल्कि नर्वस सिस्टम की गतिविधियों को कंट्रोल करते हैं। स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि हमारे शरीर में हार्मोन्स का संतुलन बना रहे। हार्मोन्स शरीर को ही नहीं, मस्तिष्क और भावनाओं को भी प्रभावित करते हैं। खानपान में अनियमितता, व्यायाम की कमी, तनाव आदि के कारण इसमें असंतुलन हो जाता है। इसे संतुलित रखना बहुत मुश्किल नहीं है। आसान तरीकों से आप इस पर नजर रख सकते हैं।
- हार्मोन क्या है: हार्मोन किसी सेल या ग्लैंड द्वारा निकले ऐसे केमिकल हैं जो शरीर के दूसरे हिस्से की कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं। शरीर का विकास, मेटाबॉलिज्म और इम्यून सिस्टम पर इनका सीधा प्रभाव होता है। हमारे शरीर में कुल 230 हार्मोन होते हैं, जो शरीर की अलग-अलग क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। हार्मोन की छोटी-सी मात्रा ही कोशिका के मेटाबॉलिज्म को बदलने के लिए पर्याप्त है। यह एक केमिकल मैसेंजर की तरह एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक निर्देश पहुंचाते हैं। अधिकतर हार्मोन्स का सर्कुलेशन ब्लड के द्वारा होता है। कुछ हार्मोन दूसरे हार्मोन को भी नियंत्रित करते हैं।
- पॉली-अनसैचुरेटेड फैट से बचें: मनुष्य के शरीर में 97 प्रतिशत संतृप्त और असंतृप्त वसा होती है, वहीं केवल 3 प्रतिशत पॉली-अनसैचुरेटेड वसा होती है। इसमें आधी वसा ओमेगा3 फैटी एसिड होती है जो शरीर में संतुलन बनाने के लिए जरूरी है। वनस्पति तेल में बहुत अधिक मात्रा में पॉली-अनसैचुरेटेड फैट होता है, जिसका प्रयोग हम बहुत पहले से करते आ रहे हैं। लेकिन अगर शरीर में इनकी मात्रा बढ़ जाए तो स्किन कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए वनस्पति तेल, मूंगफली तेल, कनोला तेल, सोयाबीन तेल आदि का सेवन करने से बचें। इनकी जगह नारियल तेल या जैतून के तेल का प्रयोग करें। इनमें ओमेगा3 होता है।
- चाय कॉफ़ी से बचें: अगर आप चाय और कॉफी के शौकीन हैं तो इसका सेवन कम कर दें। इसके कारण हार्मोन में असंतुलन हो सकता है। कैफीन का अधिक सेवन इंडोक्राइन ग्रंथि को प्रभावित करता है और इसके कारण सबसे अधिक हार्मोन का असंतुलन गर्भावस्था के दौरान होता है। इसलिए कॉफी का सेवन करने की बजाय ग्रीन टी का सेवन करना अधिक फायदेमंद है।
- टॉक्सिन्स से बचें: विषाक्त पदार्थ जब हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं, तब हार्मोन में असंतुलन होता है। सबसे अधिक विषाक्त पदार्थ प्लास्टिक के प्रयोग से शरीर में प्रवेश करते हैं। प्लास्टिक की बोतल से पानी पीने, प्लास्टिक के बर्तन में खाद्य पदार्थ गरम करने के बाद उनका सेवन करने से भी टॉक्सिन शरीर में जाता है। दरअसल, प्लास्टिक की बोतल या बर्तन बनाने के लिए प्रयोग किया जाने वाला बाइसफेनोल ए नामक रसायन जब पेट में पहुंचता है, तब इसके कारण पाचन क्रिया के साथ हार्मोन पर भी असर पड़ता है।
- भरपूर नींद है जरूरी: नींद की कमी या अधूरी नींद के कारण कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। हार्मोन में असंतुलन भी इसके कारण हो सकता है। गर्भवती महिलाओं को अधिक समस्या होती है। इसलिए रोजाना 7-9 घंटे की नींद जरूर लीजिए।
- नियमित व्यायाम करें: व्यायाम शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बहुत जरूरी है। नियमित व्यायाम से न केवल आप फिट रहते हैं, बल्कि इससे होने वाली सामान्य और खतरनाक बीमारियों से भी बचाव किया जा सकता है। इसलिए नियमित रूप से व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल कीजिए। रोज कम से कम 30-40 मिनट तक व्यायाम जरूरी है।
- तनाव से बचें: वर्तमान में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसे तनाव न होता हो। तनाव रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया है। तनाव हमारे पूरे शरीर को प्रभावित करता है और इसके कारण हार्मोन में भी असंतुलन हो जाता है। गर्भवती महिलाओं को तनाव बिल्कुल भी नहीं लेना चाहिए। तनाव से बचने के लिए योग और ध्यान कीजिए।
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साभार:
भास्कर समाचार
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