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मार्च का महीना अब ज्यादा दूर नहीं। इनकम टैक्स बचाने के विकल्पों का
सहारा लेने में अब और देर करना लंबी अवधि में नुकसान का सौदा साबित हो
सकता है। ज्यादातर करदाता जल्दबाजी में टैक्स-सेविंग के लिए ऐसे
विकल्पों का चयन कर लेते हैं जो उन्हें टैक्स-सेविंग में भले लाभ
पहुंचाता हो लेकिन अन्य लाभ नहीं मिल पाते। उदाहरण के तौर पर, टैक्स
सेविंग के लिए जल्दबाजी में बिना सोचे-समझे यूलिप, एंडोमेंट जैसे
विकल्पों में निवेश करना। इनकम टैक्स बचाने के विभिन्न विकल्प उपलब्ध
हैं। प्रत्येक करदाता फाइनेंशियल प्लानिंग करवाने के बाद निवेश के
विकल्प चुने यह भी संभव नहीं है। कम से कम ऐसे विकल्पों का तो चयन किया
ही जाना चाहिए जो टैक्स–सेविंग के साथ-साथ अच्छा
रिटर्न या अन्य लाभ देते हों। आज ऐसे ही कुछ विकल्पों की चर्चा करते हैं। अगर आपने अपनी टैक्स-प्लानिंग अब तक पूरी नहीं की है तो यह आपके लिए मददगार साबित होगा। सालाना 2.5 लाख रुपये तक की आय पर कर नहीं लगता। वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 3 लाख रुपये और 80 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों के लिए इसकी सीमा 5 लाख रुपये है। अगर आपकी आय इससे अधिक है तो टैक्स सेविंग के उपाय करने होंगे।
रिटर्न या अन्य लाभ देते हों। आज ऐसे ही कुछ विकल्पों की चर्चा करते हैं। अगर आपने अपनी टैक्स-प्लानिंग अब तक पूरी नहीं की है तो यह आपके लिए मददगार साबित होगा। सालाना 2.5 लाख रुपये तक की आय पर कर नहीं लगता। वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 3 लाख रुपये और 80 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों के लिए इसकी सीमा 5 लाख रुपये है। अगर आपकी आय इससे अधिक है तो टैक्स सेविंग के उपाय करने होंगे।
- पब्लिक प्रोविडेंट फंड: पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) डेट में निवेश का बेहतरीन विकल्प है जो टैक्स-सेविंग के साथ-साथ लंबी अवधि में एक अच्छा कोष बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 15 साल की मैच्योरिटी अवधि वाली इस योजना में निवेश कर धारा 80सी के तहत लाभ प्राप्त किया जा सकता है। मैच्योरिटी पर मिलने वाले पैसों (मूलधन एवं ब्याज) पर भी कर नहीं लगता। 2014 में पीपीएफ की अधिकतम सीमा 1 लाख रुपये से बढ़ा कर 1.5 लाख रुपये कर दी गई है। वर्तमान में इस पर 8.7 फीसदी का ब्याज मिलता है जो आकर्षक है।
- इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम: म्यूचुअल फंडों की इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम धारा 80सी के तहत निवेश का सबसे आकर्षक विकल्प है। यह उन करदाताओं के लिए ज्यादा उपयुक्त है जो शेयर बाजार से जुड़ा जोखिम उठाते हुए अच्छा रिटर्न अर्जित करना चाहते हैं। इसकी लॉक-इन अवधि तीन साल की होती है। यह विकल्प भी धारा 80सी के अंतर्गत आता है जिसकी सीमा 1.5 लाख रुपये है।
- नेशनल पेंशन सिस्टम: नेशनल पेंशन सिस्टम या एनपीएस भी धारा 80सीसीडी के तहत टैक्स सेविंग का एक विकल्प है। वेतनभोगी कर्मचारी अपने वेतन (बेसिक और डीए) के 10 प्रतिशत तक की कटौती का लाभ उठा सकते हैं। धारा 80सीसीई की अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपये है और इसका लाभ इसी दायरे तक उठाया जा सकता है। खाता खोलने की जटिलताओं की वजह से यह ज्यादा लोकप्रिय नहीं हो पाया। एनपीएस रिटायरमेंट के लिए पैसे जोड़ने का एक अच्छा विकल्प है। इसके विभिन्न फंडों के तहत पिछले पांच वर्षों में निवेशकों को 5-11 फीसदी का रिटर्न मिला है। इसकी मैच्योरिटी निवेशक के 60वें वर्ष में पहुंचने के बाद होती है। निवेश के विकल्पों में ई (इक्विटी), सी (कॉरपोरेट बांड्स) और जी (गिल्ट्स) के अलावा लाइफसाइकल फंड शामिल हैं। लंबी अवधि के निवेश के इच्छुक इस विकल्प का सहारा ले सकते हैं। टियर-1 एकाउंट से मैच्योरिटी से पहले निकासी नहीं कर सकते जबकि टियर-4 खाते से अपनी जरूरत के हिसाब से पैसों की निकासी कर सकते हैं। टियर-2 खाता वही खुलवा सकते हैं जिनके पास टियर-1 खाता है।
- टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट: बैंकों के टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट उन करदाताओं के लिए उपयुक्त हैं जो जोखिम नहीं उठाना चाहते। इसकी लॉक-इन अवधि पांच साल होती है। धारा 80सी की सीमा 1.5 लाख रुपये के निवेश तक इसमें कटौती का लाभ मिलता है। फिलहाल, पांच साल के टैक्स सेविंग एफडी पर 9 फीसदी का ब्याज मिल रहा है। ध्यान देने वाली बात यह है कि इससे प्राप्त होने वाला ब्याज कर-मुक्त नहीं होता। निचली कर-श्रेणी में आने वाले करदाता इसका चयन कर सकते हैं।
- नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट: धारा 80सी के तहत नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट भी टैक्स सेविंग में मददगार है। पांच साल की लॉक-इन अवधि वाले एनएससी की ब्याज दर 8.5 फीसदी और 10 साल की लॉक-इन अवधि वाले की ब्याज दर 8.8 फीसदी है। गौर करने वाली बात यह है कि प्रत्येक वर्ष इससे मिलने वाले ब्याज का पुनर्निवेश किया जाता है। अगर ब्याज और मूलधन का निवेश 1.5 लाख की सीमा पार करता है तो उस पर टैक्स देना होता है।
- पेंशन स्कीम: जीवन बीमा कंपनियों द्वारा दो तरह की पेंशन योजनाएं पेश की जाती है- डेफर्ड और इमेडिएट एन्युइटी। डेफर्ड एन्युइटी के तहत आप रिटायरमेंट की उम्र तक नियमित निवेश करते हैं। रिटायरमेंट के बाद आप जमा राशि का 60 फीसदी निकाल सकते हैं और शेष का निवेश एन्युइटी फंड में कर मासिक पेंशन प्राप्त कर सकते हैं। इमेडिएट एन्युइटी प्लान के अंतर्गत आप एकमुश्त निवेश कर अगले माह से मासिक पेंशन प्राप्त कर सकते हैं। इसमें निवेश करने पर भी आप धारा 80सीसीसी के तहत कटौती का लाभ ले सकते हैं।
- यूलिप: बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण ने 2010 में दिशानिर्देश जारी कर यूलिप के खर्चे काफी कम कर दिए हैं। कुछ यूलिप को छोड़ दें तो ईएलएसएस की तुलना में अब भी ये महंगे हैं। इनकी लॉक-इन अवधि पांच साल है। अगर आप धारा 80सी के तहत इसमें निवेश करने की सोच रहे हैं तो ध्यान रखिए कि इस पर रिटर्न तभी अच्छा मिलेगा जब आप लगातार 10 साल से अधिक अवधि तक अपना निवेश जारी रखते हैं।
- सीनियर सिटिजन सेंविंग्स स्कीम: धारा 80सी के तहत कर में कटौती के लाभ के लिए 60 वर्ष की अधिक उम्र के व्यक्ति सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम (एससीएसएस) में निवेश कर सकते हैं। वैसे निवेशक जिनकी उम्र 55 साल से अधिक और 60 साल के बीच है और जिन्होंने वोलंटरी रिटायरमेंट लिया है, वह भी इस स्कीम का लाभ उठा सकते हैं। इस पर सालाना 9.20 फीसदी का ब्याज मिल रहा है जो तिमाही मिलता है। पांच साल से पहले इससे निकासी नहीं की जा सकती।
- रिटायरमेंट फंड: म्यूचुअल फंडों जैसे यूटीआई रिटायरमेंट बेनीफिट प्लान और टेंपलटन इंडिया पेंशन प्लान में निवेश करने पर भी आप धारा 80सी के तहत कटौती का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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साभार:
भास्कर समाचार
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