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लगातार एक पखवाड़े तक पानी का संकट ङोला तो गुरुजी को जल संरक्षण का
महत्व समझ में आया। तब से आज तक वह देशभर में जल संरक्षण की अलख जगा रहे
हैं। बवानीखेड़ा के वार्ड नंबर चार निवासी एवं सामाजिक विज्ञान के शिक्षक
दिनेश कुमार लोगों को पानी बचाने की शपथ दिलाते हैं और संरक्षण के फायदे भी
बताते हैं। वह कस्बे से लेकर देश-प्रदेश में यह
अभियान चलाए हुए हैं। 1999
में उनके घर पंद्रह दिन पानी न आने के कारण पानी का मोल समझ आया और
उन्होंने जल संरक्षण की मुहिम को शुरू किया। वह लोगों को जल संरक्षण के
फायदे बताते और जागरूक भी करते रहे। उनका प्रयास रंग लाने लगा और उनके साथ
गांव के ही कुछेक पढ़े लिखे युवा जुड़ने लगे। धीरे-धीरे उन्हें लोगों को
जागरूक करने में मजा आने लगे और वे अब रोजाना निजी स्कूल में प्रार्थना सभा
में भी विद्यार्थियों को पानी के मोल पर विचार दे रहे हैं। साथ ही गांव की
चौपाल हो या फिर सरकारी दफ्तर, उनमें भी वे पानी के गिरते हुए स्तर एवं
उसे बचाने के लिए गुजारिश करते नजर आते हैं। साइकिल रैली, संगोष्ठी,
सेमिनार व रैली के जरिये भी वे जल के महत्व पर मंडन कर रहे है। उन्हें 2011
में मुख्यमंत्री श्रम रत्न पुरस्कार भी मिल चुका है। वे हजारों
विद्यार्थियों को जल बचाने की शपथ भी दिलवा चुके हैं।
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साभार: जागरण समाचार
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