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दौड़ने, रस्सी कूदने, एरोबिक्स या अन्य कार्डियो व्यायाम
जैसी गतिविधियों के दौरान धड़कनें बढ़ जाती हैं। ऐसी स्थित में सांस फूलना
स्वाभाविक है, लेकिन यदि थोड़ा शारीरिक श्रम करने पर या सामान्य गतिविधियों
के दौरान सांस फूलने की परेशानी होती है, तो इसे नज़रअंदाज़ न करें। इसके
पीछे स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। आइए जानते हैं: - अस्वस्थ हैं फेफड़े: भीतर ली गई ऑक्सीजन सीधे फेफड़ों में पहुंचती है, फिर शरीर के अन्य हिस्से में। यानी फेफड़े बीमार होंगे, तो निश्चित तौर पर सांस लेने में परेशानी होगी। अस्थमा रोगियों को श्वास नलिकाओं में सूजन के कारण सांस लेने में दिककत होती है। फेंफड़ों के संक्रमण और निमोनिया से पीड़ित होने पर भी सांस लेने में परेशानी आती है।
- अच्छे नहीं दिल के हाल: दिल का दौरा पड़ने के लिए हृद्य की मांसपेशियों का ठीक तरह से कार्य न करना या उसे पर्याप्त ऑक्सीजन न मिल पाना जैसे कारण जिम्मेदार होते हैं। उच्च रक्तचाप के कारण भी दिल के दौरे की आशंका बढ़ जाती है और सांस उखड़ती है।
- चिंता के कारण: कई लोगों को अत्यधिक चिंता की अवस्था में अनियिमत श्वास गति से दो-चार होना पड़ता है। बहुत परेशान होने पर अक्सर हम तेज़ी से सांस लेते है। नतीजतन, अधिक मात्रा में ऑक्सीजन लेते हैं और उसी अनुपात में कार्बन डाई ऑक्साइड बाहर निकालते हैं, इसिलए श्वास गति अनियिमत हो जाती है। इसके अलावा, तनाव के दौरान शरीर को ऑक्सीजन की कमी महसूस होने पर भी सांस फूलती है।
- एलर्जी करती है परेशान: शरीर का रोग प्रतिरोधक तंत्र कमज़ोर होने पर कई लोगों को धूल, मिट्टी और पराग कणों से एलर्जी होती है। इस दौरान फेफड़ों की वाहिकाएं प्रभावित होती हैं और सांस लेने में परेशानी होती है। समस्या बढ़ने पर सीने में दर्द भी उठ सकता है।
- मोटापा है ज़िम्मेदार: मोटापा कई बीमारियों की जड़ है। अधिक वज़न वाले लोगों को मधुमेह, हृदयरोग, थायरॉइड, जोड़ों का दर्द आदि बीमारियों का शिकार होने का खतरा बना रहता है। इसके अलावा, मोटापा शरीर की कार्य क्षमता पर भी बुरा असर डालता है और तेज़ चलने, सीढ़ियां चढ़ने या छोटे-मोटे कामों के दौरान भी सांस फूलने लगती है।
- अन्य कारण: फेफड़ों कें कैंसर के चलते भी सांस की गंभीर परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा एनीमिया, थायरॉइड और निम्न रक्तचाप की शिकायत के कारण भी सांस उखड़ने की समस्या से दो-चार होना पड़ता है।
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साभार:
भास्कर समाचार
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