आठवीं कक्षा तक छात्रों को फेल नहीं करने की नीति खत्म होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में इससे जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। पांचवीं और आठवीं की सालाना परीक्षा में छात्र
के फेल होने पर उसे इसी कक्षा में रखने का अधिकार राज्यों को देने के लिए बच्चों का निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार संशोधन विधेयक में प्रावधान किए जाएंगे। यह संशोधन विधेयक संसद में पेश किया जाएगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। बच्चों को उसी कक्षा में रखने से पहले उसे परीक्षा के जरिये इम्प्रूवमेंट का एक मौका जरूर दिया जाएगा। शिक्षा का अधिकार कानून के मौजूदा प्रावधानाें के तहत आठवीं तक बच्चा हर साल खुद ही अगली कक्षा में प्रोमोट हो जाता है। 1 अप्रैल, 2010 से यही व्यवस्था लागू है। देश में 20 विश्व स्तरीय संस्थान खोलने संबंधी मानव संसाधन विकास मंत्रालय का प्रस्ताव भी कैबिनेट ने मंजूर कर लिया।
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साभार: भास्कर समाचार
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