डेरासच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम की सबसे कमजोर कड़ी उन पर दर्ज मुकदमे ही थे। बाबा किसी भी तरह इन मुकदमों से बाहर निकलना चाहता था। राजनीतिक दल और बाबा दोनों एक-दूसरे की कमजोर नसों को अच्छी तरह समझ गए थे। यही वजह थी कि प्रदेश में जब भी चुनाव आते थे तो तमाम राजनेता और राजनीतिक दल बाबा की चौखट पर जाकर माथा टेकते थे। डेरा की राजनीतिक विंग समर्थन करने से पहले अपने वर्करों और अनुयायियों के माध्यम से ग्राउंड रिपोर्ट जुटाते थे। फिर जो भी राजनीतिक दल अथवा प्रत्याशी जीतने की स्थिति में होता, उसका समर्थन कर देते थे। हरियाणा के करीब आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में करीब 32 और पंजाब की 37 विधानसभा सीटों पर प्रभाव था।
राजनीतिक दलों का मानना था कि डेरे का समर्थन मिलने के बाद प्रत्याशी की जीत लगभग सुनिश्चित हो जाती थी। राजनीतिक दल के रूप में किस पार्टी को भले ही सत्ता मिले या मिले, लेकिन उसका वोट प्रतिशत बढ़ जाता था।
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साभार: भास्कर समाचार
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