शाह मस्ताना ने 1948 में बसाया डेरा: डेरा सच्चा सौदा 1948 में शाह मस्ताना ने सिरसा के बेगू रोड पर दो किलोमीटर की दूरी पर बसाया था। उनका वास्तविक नाम खेमामल था। ये ब्लूचिस्तान (पाकिस्तान) के रहने वाले थे। बेपरवाह मस्ताना महाराज रूहानियत के कामिल फकीर थे। मस्ताना
महाराज ने सामाजिक कार्य के लिए कई डेरों का निर्माण किया। दूर-दूर तक सत्संग लगाया। 14 साल की उम्र में सच्चे गुरु की तलाश में घर छोड़ दिया था। वह पंजाब के ब्यास में आए और बाबा सावन सिंह की शरण ली।
1960 में शाह सतनाम सिंह को सौंपी गई डेरा की गद्दी: शाह मस्ताना ने उनके यश को काफी बढ़ाया। शाह मस्ताना की मृत्यु 1960 में हो गई। 1960 में डेरा सच्चा सौदा की गद्दी शाह सतनाम सिंह जी महाराज को सौंप दी गई। शाह सतनाम जी महाराज ने भजन कव्वालियों व व्याख्यानों के 20 ग्रथों की रचना की है। आश्रम में विवाह-शादी की भी एक नई परंपरा शुरू की। उन्होंने कई जरूरतमंदों की बेटियों की शादी कराई।
1990 में गुरमीत ने संभाली गद्दी: 23 सितंबर, 1990 को सतनाम सिंह ने देशभर से अनुयायियों का सत्संग बुलाया और गुरमीत सिंह को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। वे राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के जट सिख दंपती मगहर सिंह और नसीब कौर की एकमात्र संतान हैं। इनका जन्म 15 अगस्त 1967 को श्रीगंगानगर जिले के गुरुसर मोडिया में हुआ था। इन्हें सात साल की उम्र में ही 31 मार्च 1974 को तत्कालीन डेरा प्रमुख शाह सतनाम सिंह जी ने शिष्य बनाया। डेरा प्रमुख की पत्नी का नाम हरजीत कौर है। बड़ी बेटी का चरणप्रीत और छोटी का नाम अमरप्रीत है, जबकि एक बेटी गोद लिया हुआ है। एक बेटी की शादी पूर्व एमएलए के साथ हुई है।
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साभार: जागरण समाचार
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