Wednesday, August 30, 2017

जीवन प्रबंधन: एक नया कारण आपको ले जा सकता है नई ऊंचाई पर

एन. रघुरामन (मैनेजमेंटगुरु)
साभार: भास्कर समाचार 
मंगलवार को जब हम बारिश, गुरमीत राम रहीम सिंह और डोकलाम के बारे में बात करने में व्यस्त थे, कुछ अज्ञात स्थानों और संघर्ष ग्रस्त घाटी के कुछ युवा भी सुर्खियों में थे, क्योंकि उनके विचार सिर्फ नए थे, बल्कि
अलग भी थे। 
स्टोरी 1: भुवनेश्वर के इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी कॉलेज के आर्किटेक्चर के छात्रों का एक समूह कुछ अलग करना चाहता था, लेकिन यह भी चाहता था कि यह लोगों के काम का हो। इसलिए वे कई सार्वजनिक स्थानों पर गए और उनकी राय जानी कि उन्हें भुवनेश्वर में क्या चाहिए। अासपास हरियाली के बावजूद अधिकतर लोगों ने पार्क और रेसिडेंशियल इलाकों में और हरियाली मांगी। निश्चित रूप से इसके लिए तो जमीन की जरूरत होती। काफी तलाश करने के बाद छात्रों को जमीन का एक टुकड़ा सरकारी अपार्टमेंट और फायरब्रिगेड स्टेशन के बीच मिल गया। यह एक डम्पिंग यार्ड था। हालांकि था, शहर के बीच में। इन छात्रों को जो बात खास बनाती है, वह यह नहीं है कि सोसायटी को कुछ लौटाने का उनका विचार पवित्र था। बल्कि उन्हें खास बनाता है उनका तरीका। 
चूंकि भुवनेश्वर में बड़े पैमाने पर निर्माण गतिविधियां चल रही हैं, इसलिए वहां बेकार हो रहीं चीजों का ढेर भी बढ़ रहा है। इन्होंने इस वेस्ट काे एकत्र किया और इससे एक यूनिक एक्यूप्रेशर पाथवे बनाया। जहां लोग नंगे पैर चलकर इस थैरेपी का फायदा उठा सकते हैं। इसमें बॉडी के खास पॉइंट पर दबाव बनता है। इसे रिफ्लैक्सोलॉजी फुटपाथ कहा जाता है। पाथवे पैरों के तलवों पर मसाज और एक्यूप्रेशर पॉइंट पर दबाव के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस विचार काे व्यापक सराहना मिली, जिसमें कई मेडिकल प्रेक्टिशनर भी शामिल रहे। इन्होंने माना कि यह पैरों के तलवों में स्थित न्यूरोलॉजिक रिफ्लैक्स जोन को सक्रिय करता है। नंगे पैर या सॉक्स पहनकर इन पर चलना कई लोगों के लिए फायदेमंद रहा। यह पूरा सार्वजनिक बागीचा आर्किटेक्चर के 15 छात्रों ने पूराने टायर, प्लास्टिक की खराब बॉटल, ग्लास, टॉयलेट सीट, बांस, कंस्ट्रक्शन वेस्ट आदि के इस्तेमाल से बनाया है। आज इस इनोवेटिव पार्क में बच्चों के लिए प्ले एरिया, बुजुर्गों के लिए असेंबली पॉइंट, युवाओं के लिए हैंगआउट ज़ोन, छात्रों के लिए बैठने की जगह और एक ओपन जिम है। इस काम में लगे सिर्फ तीन महीने। 
स्टोरी 2: अबरार यासीन, मुअज्जम खुर्शीद और हैदर परवेज के पास आईटी का कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं है, लेकिन इन्होंने एक कंपनी शुरू की है- पेपरस्क्वैयर। इससे वे वेब डिजाइनिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वीडियो एडिटिंग और 3डी प्रिटिंग की सुविधा दे रहे हैं। उन्होंने इसके लिए कोई लोन नहीं लिया, अपनी पॉकेट मनी जमा की और बहुत छोटी शुरुआत की। फिर वे सभी ग्राहकों के पास गए और उन्हें यकीन दिलाया कि वे उनकी उम्मीदों पर पूरे उतरेंगे और उनसे काम की मांग की। तीनों ने अपने ग्राहकों की सभी जरूरतों को समझा और तीनों ने सम्मिलित प्रयास कर ग्राहकों की एक-एक समस्या का समाधान शुरू किया। आज उनके ग्राहकों में कई अस्पतालों से लेकर स्कूल तक शामिल हैं। इसमें प्रतिष्ठित दिल्ली पब्लिक स्कूल भी शामिल है, जिसके लिए वे रोबोटिक स्टफ और नेटवर्किंग की सुविधा देते हैंं। इसमें नया ये है कि ये लोग संघर्ष में फंसे क्षेत्र श्रीनगर के हैं। 
स्कूल रूम और बोर्ड रूम में अपने समय काे बांटकर कक्षा नौ और 11 के इन स्टार छात्रों की कंपनी का टर्नओवर पिछले साल एक लाख रुपए रहा। इस साल ग्राहकों की संख्या बढ़ने से यह 300 प्रतिशत बढ़ सकता है। उनके प्रतिष्ठित कामों में एम्बुलेंस सेफ्टी और इंधन चोरी के सॉफ्टवेअर हैं जो श्रीनगर में बड़ा मुद्‌दा है। 
फंडा यह है कि अाइडियाभले ही छोटा हो, लेकिन नया होना चाहिए। साहसी लोग सुर्खियों में होते हैं और बिजनेस में भी।