Sunday, August 27, 2017

डेरा या विदेशी मुल्क? जहाँ जाने से पहले अपनी करेंसी डेरे की करेंसी से करनी होती थी एक्सचेंज

डेरा सच्चा सौदा के भीतर गजब का है। वहां अपनी मुद्रा है। अपना कारोबार है। डेरे को इस तरह बसाया गया है कि अगर कि यहां एक बार जो बस जाए तो उसे कभी बाहर की दुनिया से जुड़ने की आवश्कता ही महसूस न हो।
डेरे के अपने उत्पाद, अपनी सेवाएं और सब कारोबार अपनी मुद्रा में। न बाहर की मुद्रा और न ही बाहर से कारोबार।
डेरा सच्चा सौदा ने दोनों डेरों में और उनमें बसी कालोनियों व संस्थान के लिए अलग से प्लास्टिक की मुद्रा बनवाई थी। बाहर से आए शख्स को डेरे में कुछ भी खरीद के लिए रुपये को डेरे की करेंसी से बदलवाना पड़ता था। यहां आने वाले हजारों श्रद्धालु इस मुद्रा का प्रयोग करते रहे हैं। किसी एक स्थान से टोकन ले लेते और फिर इनके बदले जहां चाहा वहां से कोई भी सामान यहां तक कि होटल में खाना भी खाया जा सकता है।
डेरामुखी ने स्कूल से लेकर पीजी कॉलेज अपने डेरे में ही बनाये हुए हैं। सुपर मार्केट से लेकर फैक्टियां खेल स्टेडियम, विद्यार्थियों के रहने के लिए हॉस्टल, डेरे में नौकरी करने वाले परिवारों के रहने के लिए अलग आवासीय कॉलोनी, सिनेमा घर, फाइव स्टार होटल, रेस्टोरेंट आदि यह सब डेरा सच्चा सौदा में ही हैं। इसके अलावा दुकानों, रेस्टोरेंट में डेरे की खुद की करेंसी भी चलती थी। पुराने डेरे में ही सच मार्केट है। मार्केट में हर प्रकार के सामान की एक-एक दुकान निर्धारित है। नये डेरे में ऐसी मार्केट तो नहीं है, लेकिन वहां फैक्ट्रियां बनी हुई हैं। बहुत बड़े स्तर का अस्पताल बना हुआ हैं। डेरा की ओर से रिसोर्ट बनाए गए हैं।थ्री स्टार होटल भी हैं। कशिश डेरा का पुराना होटल है, लेकिन यहां पिछले कुछ वर्षो में डेरा ने होटल के कारोबार में भी दिलचस्पी दिखाई और यहां थ्री स्टार होटल तैयार कर दिया गया। डेरा ने पतंजलि की तर्ज पर खुद के भी उत्पाद उतार दिए हैं और खुद का ही नेटवर्क स्थापित किया। एमएसजी ने खाद्य वस्तुओं के अलावा सौंदर्य प्रशासन, कपड़े व इलेक्ट्रानिक प्रोडक्ट्स में भी कदम रखा। अब एमएसजी के नाम से बैटरियां भी तैयार की गईं। प्रोडक्ट के लिए खुद के शोरूम खोले और ग्राम स्तर तक पतंजलि की तर्ज पर रिटेल स्टोर शुरू किए गए।
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साभार: जागरण समाचार 
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