पहले भारत और अमेरिका के साथ मिल कर हंिदू महासागर में बड़ा नौसैनिक अभ्यास और उसके बाद डोकलाम पर भारत का खुला समर्थन। जापान व भारत मिल कर चीन को कूटनीतिक संदेश देने का यह
सिलसिला आगे भी जारी रखेंगे। अगले महीने जब जापान के पीएम शिंजो एबी भारत के साथ द्विपक्षीय रणनीतिक वार्ता के लिए आएंगे तो दोनो देशों के बीच श्रीलंका और ईरान में दो बंदरगाहों के निर्माण में सहयोग पर बात होगी। इन दोनो बंदरगाहों की खासियत यह है कि ये चीन की तरफ से दक्षिण एशिया में बनाये जा रहे दो बड़े बंदरगाहों के बिल्कुल करीब हैं।
श्रीलंका में त्रिंकोमाली बंदरगाह और ईरान के चाबहार एयरपोर्ट के विकास पर भारत और जापान के बीच पहले भी बात हुई है लेकिन इस बार इसे ज्यादा ठोस तौर पर आगे बढ़ाया जाएगा। अप्रैल, 2017 में ही दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ था जिसमें एशिया, अफ्रीका में भी ढांचागत परियोजनाओं को संयुक्त तौर पर विकसित करने की बात थी। उस समझौते के बाद पहली बार पीएम नरेंद्र मोदी जापान के पीएम एबी से मिल रहे हैं। एबी की यात्र की तैयारियों में जुटे अधिकारियों का कहना है कि दूसरे देशों में संयुक्त तौर पर बंदरगाह और सड़क विकास परियोजना दोनो नेताओं के बीच होने वाली बातचीत में प्रमुख होगा।
श्रीलंका में त्रिंकोमाली बंदरगाह को विकसित करने की रुचि भारत काफी पहले दिखा चुका है। यह चीन की तरफ से श्रीलंका में निर्मित हमबनतोता पोर्ट से 365 किलोमीटर की दूरी पर है। हमबनतोता पोर्ट को बनाने का प्रस्ताव पहले श्रीलंका ने भारत को ही दिया था लेकिन भारत की तरफ से रुचि नहीं दिखाने के बाद उसे चीन ने हासिल किया। अब भारत को इस पोर्ट के रणनीतिक महत्व के बारे में अहसास हुआ है और वह इसे जापान के सहयोग से श्रीलंका में दूसरे पोर्ट के निर्माण को लेकर ज्यादा देरी नहीं करना चाहता। हमबनतोता पोर्ट को लेकर पिछले महीने ही श्रीलंका व चीन के बीच नया समझौता हुआ है जिसके मुताबिक यह पोर्ट चीन को 99 वर्षो के लिए लीज पर दिया गया है। माना जाता है कि इससे चीन भारत की दक्षिणी समुद्री सीमा में हर जहाज के मूवमेंट पर नजर रख सकेगा।
मोदी और एबी के बीच चाबहार पोर्ट को लेकर पिछले वर्ष शुरुआती बातचीत हुई थी। उसके बाद दोनो देशों के संबंधित मंत्रलयों की तरफ से सहयोग का रोडमैप तैयार किया गया। इस पर सितंबर में होने वाली बैठक के बाद अंतिम रूप दिया जा सकता है। बताते चलें कि चाबहार पोर्ट चीन की तरफ से पाकिस्तान में बनाये जा रहे ग्वादर पोर्ट से कुछ ही दूरी पर होगा। कुछ ही हफ्ते पहले भारत के जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी अफगानिस्तान गये थे। गडकरी ने 18 महीने में पोर्ट के पहले चरण का काम पूरा करने की बात कही है। जापान के आने से पोर्ट निर्माण के लिए वित्त का प्रबंधन ज्यादा आसानी से हो सकेगा।
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साभार: जागरण समाचार
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