साभार: भास्कर समाचार
पंचकूलामें धारा 144 लगाने पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा है कि यह सरकार की सोची समझी रणनीति थी या फिर क्लेरिकल मिसटेक। कार्यवाहक चीफ जस्टिस एसएस सारों, जस्टिस
सूर्यकांत और जस्टिस अवनीश झिंगन की फुल बेंच ने हरियाणा सरकार के एडवोकेट जनरल से पूछा कि उनकी कौन सी बात सही है। हाईकोर्ट ने मामले पर 27 सितंबर के लिए अगली सुनवाई तय की है। बेंच ने कहा कि सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा समर्थकों के पंचकूला में जमा होने का कारण खुद पंचकूला प्रशासन रहा है। डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (डीसीपी) ने 18 अगस्त और 22 अगस्त को नोटिफिकेशन तो जारी की, लेकिन पांच या इससे ज्यादा लोगों के एक साथ एक जगह पर हथियारों के साथ जमा होने पर कोई रोक नहीं लगाई। हरियाणा के एडवोकेट जनरल बीआर महाजन ने इस बारे में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में कहा कि यह क्लेरिकल मिसटेक रही। बाद में 24 अगस्त को डीसीपी ने संशोधित अधिसूचना जारी कि जिसमें पांच या इससे ज्यादा लोगों के हथियार आदि लेकर किसी जगह जमा होने पर प्रतिबंध की बात कही गई। इसी दौरान कहा गया कि यह हरियाणा सरकार की सोची समझी रणनीति थी। जानबूझकर लोगों को पंचकूला आने से रोका नहीं गया। इससे लोग पंचकूला में जमा हों और डेरा मुखी कॉन्फिडेंस के साथ पंचकूला आएं। एडवोकेट जनरल ने कहा कि उनका मकसद डेरा मुखी को डेरे से बाहर निकालना था। यदि लोग जमा होते तो डेरा मुखी बाहर नहीं आते। बेंच ने इस पर कहा कि पंचकूला के डीसीपी को सस्पेंड करना बताता है कि सरकार ने गलती की और फिर इसे सुधारा। इससे पहले फुल बेंच ने कहा था कि हरियाणा सरकार और जिला पुलिस प्रशासन सुनिश्चित करे कि पंचकूला में जमा हुए डेरा समर्थक वापस लौटें। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि डेरा समर्थकों की भीड़ ना बढ़े। हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि कानून को तोड़ने वालों से सख्ती से निपटा जाए।