भारत के विदेश सचिव एस जयशंकर के मुताबिक भारत और चीन सीमा पर जारी तनाव सुलझाने में सक्षम हैं। पहले भी ऐसी घटनाएं होती रही हैं और इस बार ये सुलझे इसकी कोई वजह नहीं है। जयशंकर के मुताबिक दोनों
देशों के बीच लंबी सीमा है, जमीन पर सीमा को लेकर अब तक असहमति है। यही वजह है कि समय समय पर विवाद होते रहते हैं। विदेश सचिव ने ये बात पब्लिक पॉलिसी के एक स्कूल में लेक्चर के दौरान कही। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उनके मुताबिक हम सब जानते हैं जब दुनिया के दो बड़े देश इतने करीब होते हैं और विकास कर रहे होते हैं, तो उनके इतिहास चुनौतियां बढ़ा देते हैं। बहस का विषय ये है कि दोनों देशों के आगे बढ़ने से क्या खतरे हैं। केवल एक पक्ष को लेकर समझेंगे तो भटक जाएंगे।
चीन की सलामी काटने की नीति का हिस्सा है ये तनाव: अमेरिका एक्सपर्ट के मुताबिक भारत-चीन के बीच जारी तनाव चीन की सलामी काटने की नीति का हिस्सा हो सकता है। चीन हमेशा से छोटे-छोटे बदलाव कर बड़े लक्ष्य हथिया लेता है। अलीसा एयरस के मुताबिक चीन साउथ चाइना सी पर अपना दावा करता है, ताइवान के अलावा ब्रूनी, मलेशिया, फिलिपींस और वियतनाम के भी कुछ हिस्सों में अपनी दावेदारी करता है।
सिक्किम पर बयान देने से बच रहा है अमेरिका: अमेरिका भारत और चीन के बीच जारी तनाव पर बयान देने से बच रहा है। व्हाइट हाउस की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता के मुताबिक उन्होंने दोनों देशों के बीच सीमा पर जारी विवाद से जुड़ी रिपोर्ट्स देखी हैं। लेकिन आगे की जानकारी दोनों देशों की सरकार ही दे सकती हैं।
सिक्किम सीमा पर ट्राई जंक्शन पर जारी चीन के साथ विवाद सर्दियों तक जारी रह सकता है। भारत अपनी जगह से हिलने के मूड में नजर नहीं रहा है। सामरिक विशेषज्ञों के मुताबिक भारत अभी बेहतर पोजिशन पर है और वह चीन की हथियारों वाली नीति के आगे नहीं झुकेगा। भारत का मानना है कि 2005 के करार के मुताबिक दोनों देश सीमा पर अपनी स्थिति में बदलाव नहीं कर सकते। साथ ही चीन और भूटान भी 1998 समझौते के चलते सीमा विवाद सुलझने तक जस का तस बने रहने को मजबूर हैं। सेंटर फॉर चाइना एनालिसिस के जयदेव रनाडे के मुताबिक चीन जब 1 जून को सड़क बनाने भूटान आया था तो उसने नहीं सोचा था भारत इतने पुरजोर तरीके से विरोध करेगा। भारत भूटान को रक्षा क्षेत्र में सहयोग करता है।
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साभार: भास्कर समाचार
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