सर्टिफिकेट खो जाने के झंझट और इसके फर्जीवाड़े को रोकने के इरादे से इनके ऑनलाइन लॉकर शुरू करने की कवायद शुरू कर दी गई है। केंद्र सरकार ने ‘नेशनल एकेडेमिक डिपोजिट्री’ (एनएडी) के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को अधिकृत संस्थान घोषित कर दिया है। इसके बाद यूजीसी ने देश भर के उच्च
शिक्षण संस्थानों को यह व्यवस्था शुरू करने के लिए जरूरी तैयारियां करने का निर्देश जारी कर दिया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रलय ने एकेडेमिक डिपोजिट्री व्यवस्था के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को अधिकृत किया है। अब यह आने वाले कुछ दिनों में नेशनल एकेडमिक डिपोजिट्री के गठन के लिए दो एजेंसियों (डिजिटल रिपोजिट्री) के साथ त्रिपक्षीय समझौता कर सकेगा। इसके साथ ही यूजीसी ने उच्च शिक्षण संस्थानों को इस संबंध में व्यवस्था शुरू करने का निर्देश भी जारी कर दिया है। नोडल एजेंसी के तौर पर यूजीसी ने इन्हें यह भी कहा है कि सभी संस्थान दो डिजिटल रिपोजिट्री एनएसडीएल और सीएसडीएल में से किसी एक का चयन कर उसके साथ अपना समझौता (सर्विस लेवल एग्रीमेंट) कर लें। इन्हें अपने संस्थान के अंदर एक नोडल अधिकारी घोषित कर एकेडेमिक डिपोजिट्री सेल गठित करने और उसके संचालन को शुरू कराने को भी कहा है। एनएसडीएल और सीएसडीएल पहले से ही भारतीय सेक्यूरिटी एक्सचेंज बोर्ड (सेबी) में रजिस्टर्ड डिपोजिट्री के रूप में काम कर रही हैं।
यूजीसी की ओर से इसके सचिव जसपाल एस संधु ने बीते बुधवार को सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों, राज्य विश्वविद्यालयों और केंद्रीय मदद से चलने वाले डीम्ड विश्वविद्यालयों के अलावा सभी राष्ट्रीय महत्व के शैक्षणिक संस्थानों और भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आइआइएम) को इस संबंध में पत्र लिखा है। एचआरडी मंत्रलय की कोशिश है कि यह सुविधा इन संस्थानों में अगले शैक्षणिक सत्र से ही लागू हो जाए। इसके तहत छात्रों को इन संस्थानों से पास होते ही ऑनलाइन सर्टिफिकेट मिल सकेगा।
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साभार: जागरण समाचार
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