क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति और कम्युनिस्ट नेता फिदेल कास्त्रो का 90 साल की उम्र में निधन हो गया। कहते हैं अमेरिका उनकी हत्या कराना चाहता था। वहां की खुफिया एजेंसियों ने उन्हें मारने के लिए 'ऑपरेशन मॉन्गूज' चलाया। 638 कोशिशें कीं, पर सब नाकाम रहीं। 1959 से 2008 तक अमेरिका में हुए 11 राष्ट्रपति उन्हें झुकाने में नाकाम रहे। इस साल जब बराक ओबामा क्यूबा पहुंचे तो कास्त्रो ने मिलने से मना कर दिया था। 13अगस्त 1926 को क्यूबा के जमींदार परिवार मंे जन्मे। 24 की उम्र में क्यूबा मंे अमेरिका समर्थित
सरकार को पलटने के लिए गुरिल्ला टीम बनाई। 34 साल की उम्र में क्यूबा के प्रधानमंत्री बने। और 17 साल बाद राष्ट्रपति का पद संभाला। कास्त्रो ने 1973 और 1983 में भारत का दौरा किया था।
नेहरू आदर्श और इंदिरा को बहन मानते थे: बात 1960 की है। यूएन की 15वीं वर्षगांठ थी। कास्त्रो को न्यूयाॅर्क के किसी होटल ने ठहरने की जगह नहीं दी। उन्होंने यूएन महासचिव से कहा कि जगह नहीं मिली तो मुख्यालय में ही तंबू डाल दूंगा। अगले दिन उन्हें होटल टेरेसा में जगह मिल गई। तब पीएम जवाहरलाल नेहरू उनसे सबसे पहले मिलने पहुंचे। कास्त्रो बेहद प्रभावित हुए। उनकी उम्र तब 34 साल थी। नेहरूजी 71 के। कास्त्रो ने एक बार कहा, 'इतने बड़े देश का इतना बड़ा नेता तब मिलने आया जब बाकी नेता अमेरिका के कारण मुझसे कतरा रहे थे। मैं ये एहसान भूल नहीं सकता।' 1983 में कास्त्रो दिल्ली में गुटनिरपेक्ष सम्मेलन में आए। फलस्तीनी नेता यासर अराफात भाषण के लिए अपनी बारी बाद में आने से नाराज होकर जाने लगे। इंदिराजी को फोन किया, कहा, 'फौरन विज्ञान भवन आइए। साथ में फिदेल कास्त्रो को भी ले आइए।' दोनों फौरन गए। कास्त्रो ने अराफात को भी बुला लिया। उन्होंने अराफात से पूछा कि आप इंदिरा को दोस्त मानते हैं कि नहीं? अराफात ने कहा, 'दोस्त नहीं.. वो मेरी बड़ी बहन हैं।' कास्त्रो ने तपाक से कहा, 'तो फिर छोटे भाई की तरह बर्ताव करो और सम्मेलन में भाग लो।' अराफात मान गए।
दिल्ली में कास्त्रो को गुटनिरपेक्ष सम्मेलन का प्रतीक चिन्ह गेवल मेजबान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सौंपना था। दोनों मंच से उठे और इंदिरा ने गेवल लेने के लिए हाथ बढ़ाया। पर कास्त्रो खड़े रहे। इंदिरा ने दोबारा हाथ बढ़ाया, कास्त्रो मुस्कुराते रहे। इंदिरा ने जब तीसरी बार हाथ बढ़ाया, तो कास्त्रो ने उन्हें गले लगा लिया।