Sunday, November 27, 2016

क्या आलसी होने की एक वजह 'क्रिएटिविटी' भी है

क्या हमेशा समय पर काम करना ही महत्वपूर्ण होता है? यह बात ओरिजिनल यानी मौलिक काम करने वालों पर लागू नहीं होती। मनोवैज्ञानिक एडम ग्रांट कहते हैं कि ओरिजिनल्स में काम टालने की आदत होती है, क्योंकि वे तब तक आगे नहीं बढ़ते जब तक कि कोई नया आइडिया दिमाग में जाए। इसलिए वे अंतिम समय
तक उस एक विचार की तलाश में खुद को लगाए रखते हैं, जो उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। ग्रांट इस मामले में मार्टिन लूथर किंग जूनियर को सबसे अच्छा उदाहरण मानते हैं। जिस दिन उन्होंने अपनी प्रसिद्ध स्पीच दी थी, वे सुबह तीन बजे उठ गए थे। और स्पीच फिर से लिखने लगे। पोडियम पर जाने से पहले तक वे नोट्स निकालते रहे। लाइनों को काटते रहे। 11 मिनट की स्पीच में सबसे प्रसिद्ध वाक्य हुआ 'आई हैव ड्रीम'। खास बात यह है कि ये शब्द तो उनकी लिखी हुई स्पीच का हिस्सा थी ही नहीं। ग्रांट कहते हैं कि मौलिक लोगों को अपनी क्षमता पर शक नहीं होता, लेकिन उन्हें अपने आइडिया पर शक जरूर होता है, इसलिए वे उसकी अंतिम समय तक जांच करते हैं। फिर भी वे किसी डाउटफुल आइडिया पर काम करना ज्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि इस बहाने उनकी परीक्षा होती है, प्रयोग करने का मौका मिलता है। इस तरह वे खुद को और भी ज्यादा सक्षम बना पाते हैं। वे लोग गिरने के बाद भी बार-बार सफल होने की कोशिश करते हैं। उनकी यही आदत उन्हें अन्य लोगों से अलग करती है। 

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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