सरकारी स्कूलों में छात्रों को मिलने वाले मिड-डे मील (दोपहर के खाने) में जल्द ही बदलाव हो सकता है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रलय अब बच्चों को दिए जाने वाले खाने की मात्र कुछ घटाकर गुणवत्ता
बढ़ाने का फैसला कर सकता है। बच्चों के स्वास्थ्य के लिहाज से विशेषज्ञ समिति ने यह सिफारिश की है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। एचआरडी मंत्रलय के एक वरिष्ठ सूत्र के मुताबिक इस संबंध में जल्द ही कोई निर्णय लिया जा सकता है। पिछले दिनों एचआरडी मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की अध्यक्षता में हुई मिड-डे मील योजना की अधिकार प्राप्त समिति की बैठक में इस बारे में विस्तार से चर्चा की गई। इस बैठक में ही विशेषज्ञ समिति ने यह सिफारिश की है कि बच्चों के खाने में काबरेहाइड्रेट की मात्र को कम कर प्रोटीन और वसा को बढ़ाया जाए। विशेषज्ञ समिति एम्स के बाल रोग विभाग के प्रमुख और देश के शीर्ष बाल रोग विशेषज्ञ वीके पॉल के नेतृत्व में गठित की गई थी। बैठक में मंत्रलय के सभी शीर्ष अधिकारी मौजूद थे। 1मिड-डे मील योजना के तहत अभी पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को रोजाना खुराक में 450 कैलोरी और 12 ग्राम प्रोटीन उपलब्ध कराने का प्रावधान है। जबकि, छठी और सातवीं के छात्रों को 700 कैलोरी और 20 ग्राम प्रोटीन उपलब्ध करवाना होता है। इसी तरह प्राथमिक कक्षाओं के छात्रों को 100 ग्राम अनाज और 20 ग्राम दाल दी जाती है, जबकि उच्चतर प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों को 150 ग्राम अनाज और 30 ग्राम दाल देने की व्यवस्था है। विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के मुताबिक अनाज की मात्र घटाकर प्राथमिक कक्षाओं के लिए 80 ग्राम और उच्चतर प्राथमिक कक्षाओं के लिए 125 ग्राम करने की सिफारिश की गई है। जबकि, दाल और भोजन पकाने के लिए उपयोग होने वाले घी-तेल की मात्र में बढ़ोतरी का प्रस्ताव है। वर्ष 1995 में स्कूलों में मिड-डे मील उपलब्ध करवाने की योजना इस इरादे के साथ शुरू की गई थी कि इससे स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति तो बढ़े ही साथ ही उनमें कुपोषण की समस्या भी दूर हो सके।
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साभार: जागरण समाचार
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