कहते हैं फर्स्ट इम्प्रेशन इज लास्ट इम्प्रेशन। हालांकि हार्वर्ड बिजनेस स्कूल की सोशल साइकोलॉजिस्ट एमी कडी के शोध के मुताबिक हर मामले में यह कहना सही नहीं है। कुछ ट्रिक्स को अपनाकर हम किसी के सामने
शानदार तरीके से पेश हो सकते हैं, आत्मविश्वास से भरे नजर सकते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सामने वाला हमें भरोसेमंद मान लेगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। कडी के अनुसार जब हम गर्मजोशी से किसी पर इम्प्रेशन डालते हैं तो उस समय हमारा टेस्टास्टेरोन का स्तर बढ़ता है। उस समय लोगों के बीच जगह बनाने की संभावना काफी बढ़ जाती है। नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जाने, किसी सभा में बोलने आदि से दो मिनट पहले अगर टेस्टास्टेरोन का स्तर बढ़ा और कॉर्टिसॉल का कम कर लिया जाए तो आत्मविश्वास का स्तर बढ़ जाता है। लेकिन असल में जब कोई किसी नए शख्स से मिलता है तो उस पर दो तरह का प्रभाव पड़ता है। अनजान शख्स यह जानने की कोशिश करता है कि नया शख्स कितना विश्वसनीय है। उस पर कितना भरोसा किया जा सकता है। शोध में पता चला कि जब हम पहली बार किसी से मिलते हैं तो हम उसे विश्वास में लेने की बजाय उसके सामने अपनी योग्यता दिखाने की कोशिश करते हैं। लेकिन असल में लोग किसी के प्रति यह देखकर धारणा तय करते हैं कि वह शख्स सच्चा है या नहीं। जैसे ही हम खुद को उससे ज्यादा प्रभावशाली दिखाने की कोशिश करते हैं, वह दूरी बनाने लगता है। खुद को आपसे दूर करने लगता है।
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साभार: भास्कर समाचार
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