शिक्षा विभाग ने देरी से आने वाले शिक्षकों पर नकेल कसने के लिए बायोमीट्रिक मशीन से हाजिरी जरूरी कर दी है। सीनियर सेकेंडरी तथा हाई स्कूलों में एक साल पहले योजना को शुरू भी कर दिया गया। अब प्राइमरी व मिडल स्कूलों के शिक्षकों की हाजिरी भी आनॅलाइन लगेगी। इन स्कूलों में छह महीने पहले मशीनें पहुंच गई थी
लेकिन विभाग का सुस्त रवैया के कारण सिस्टम शुरू नहीं हो पाया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इसी माह के आरंभ में सभी मिडिल व प्राइमरी हेड को इन मशीनों के संचालन का प्रशिक्षण दिया गया तथा इसके पश्चात निर्देश दिए गए कि सभी हेड इन्हें अपने कार्यालयों में तुरंत स्थापित कर संचालित करवाएं। लेकिन अभी तक ये मशीनें स्कूल मुखिया की अलमारी में कैद होकर रह गई हैं। क्योंकि उनका कहना है कि शिक्षा विभाग ने ट्रेनिंग तो दे दी है लेकिन बिना सिम कार्ड के मशीन कैसे चलें। विभाग की तरफ से सिम कार्ड खरीदने व आइडी संबंधी कोई गाइडलाइन जारी नहीं की गई है। कार्ड कंपनी सिम देने से पहले आइडी प्रूफ मांगती हैं। लेकिन स्कूल मुखिया पर्सनल आइडी पर सिम खरीदने से कतरा रहे हैं।
विभाग का तुगलकी फरमान है कि किसी भी तरीके से सिम कार्ड लेकर बायोमीट्रिक मशीनों का संचालन शुरू किया जाए। स्कूल मुखियों का कहना है कि ट्रांर्सफर या फिर सेवानिवृत्त होने के बाद सिम कार्ड का गलत प्रयोग हो सकता है। इसका जिम्मेदार आखिर कौन होगा।
बायोमीट्रिक हाजिरी पर ही मिलेगा वेतन: बायोमीट्रिक मशीनों को ट्रेजरी से जोड़ा जाएगा। बायोमीट्रिक मशीन पर हाजिरी के बाद ही शिक्षकों का वेतन जारी होगा। ऐसा इसलिए किया गया है कि शिक्षक हाजिरी लगाने के बाद गायब हो जाते हें और स्कूलों में विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित होती है। सीनियर सेकेंडरी व हाई स्कूलों में एक साल पहले मशीनें शुरू हो गई थी। जिन्हें कम्प्यूटर से जोड़ा गया है, लेकिन प्राइमरी व मिडल स्कूलों में चार्जिंग मशीनें जारी की गई हैं।
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साभार: जागरण समाचार
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