Sunday, November 27, 2016

हैप्पीनेस फार्मूला: शर्तों से हासिल नहीं की जा सकती खुशी

जर्मन विचारक अल्बर्ट श्वाइतजर ने कहा है कि सफलता या कुछ हासिल कर लेना खुशी पाने का जरिया नहीं होता। बल्कि खुशी वह जरिया है जिससे सफलता और अन्य उपलब्धियां मिलती हैं। अगर आप वह काम कर रहे हैं जो आपको पसंद है तो आप खुश रहेंगे। कुछ इसी तरह की बात अमेरिकी प्रोफेसर डेनियल गिलबर्ट के
स्टम्बलिंग ऑन हैप्पीनेस नाम के शोध में सामने आई। उन्होंने असिस्टेंट प्रोफेसर्स के समूह पर एक शोध किया। इन लोगों ने कहा कि अगर उनका कार्यकाल बढ़ा दिया जाए तो वे बहुत खुश होंगे। ऐसा हो भी गया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। लेकिन उनकी यह खुशी ज्यादा समय तक नहीं रही। एक साल के बाद भी उन प्रोफेसर्स में खुशी का वही स्तर रहा जैसा कार्यकाल बढ़ने से पहले था। इस मामले में न्यूयॉर्क के मनो विश्लेषक एमी टेलसे कहती हैं कि हम खुद तय नहीं कर सकते कि हमें खुश रहना है। यही एक एेसी चीज है जो आप सोचकर या मेहनत कर या कुछ खरीदकर हासिल नहीं कर सकते। यह अपने आप ही फील होने लगती है। कुछ मेंटल और इमोशनल एक्सरसाइज करके खुशी को पाया भी जा सकता है। वैज्ञानिकों ने भी इसे माना है। अच्छी आदतें जैसे पॉजिटिव जर्नल पढ़ना, दोस्तों के लिए वक्त निकालना और अच्छा वक्त गुजारने से खुशी मिलती है। टेलसे कहती हैं कि जब हम खुशी को कन्डीशनल बना लेते हैं तो खुशी पाने में फेल हो जाते हैं। वर्जीनिया और उटाह यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एडवर्ट डाइनर ने 2015 में हुए 13 शोध का अध्ययन करने के बाद पाया कि 40 फीसदी संभावना होती है कि खुशी जीन पर निर्भर करती है और 60 फीसदी काम करने पर। 

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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