एसवाईएल मामले पर हरियाणा की याचिका पर सोमवार को सुनवाई नहीं हो सकी। क्योंकि बेंच के सदस्य जस्टिस उदय उमेश ललित ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया है। इस पर हरियाणा ने चीफ जस्टिस से इस मामले पर जल्द सुनवाई अपील की जो स्वीकार हो गई है। राहत की बात है कि दो दिन बाद 24 नवंबर को नई
बेंच सुनवाई करेगी। प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर संवैधानिक पीठ का फैसला आने के बाद प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी कि उसके हक में आए फैसले को लागू कराया जाए और नहरी जमीन किसानों के नाम करने से पंजाब सरकार को रोका जाए। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इसके लिए जस्टिस उदय ललित और जस्टिस पूर्णा चंद्र घोष की बेंच गठित की गई थी, लेकिन जस्टिस ललित निजी कारणों का हवाला देते हुए मामले से हट गए। बताया जा रहा है कि वह एसवाईएल पर दिए गए पहले ओपिनियन से जुड़े हुए थे। उधर, हरियाणा के एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन ने बताया, 'चीफ जस्टिस ने मामले की जल्द सुनवाई की हमारी अपील मान ली है। अब हमारी तैयारी पूरी है। हर निर्णय हमारे पक्ष में हैं। इसलिए हमें जरूर इंसाफ मिलेगा।' हरियाणा अब सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखेगा कि कावेरी जल विवाद की तरह ही एसवाईएल विवाद भी निपटाया जाए। अदालत अपनी देखरेख में नहर का बाकी का काम पूरा कराने के साथ ही हरियाणा को उसके हिस्से का पानी दिलाए।
हरियाणा ने अपने हक में आए फैसले का लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की तो पंजाब में मनमाने ढंग से रातों-रात नहरी जमीन किसानों के नाम करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इस बीच, रविवार को पंजाब के राजस्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने दावा किया कि एसवाईएल के चार जिलों रोपड़, मोहाली, पटियाला और फतेहगढ़ साहिब के 202 गांवों की 4261 एकड़ जमीन 21,511 किसानों के नाम कर दी गई है।
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साभार: भास्कर समाचार
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