1000 और 500 के पुराने नोट खपाने के लिए नेपाल सीमा पर एक सिंडीकेट खड़ा हो गया है। रक्सौल से जयनगर तक सीमावर्ती इलाके के बैंकों में नोट जमा कराए जा रहे हैं साथ ही बदलवाए भी जा रहे हैं। इस काम में तस्करों का एजेंट लगा हुआ है। रिश्तेदारों के खातों का इस्तेमाल कर नेपाल के लोग इंडियन करेंसी खपा रहे हैं।
सीतामढ़ी जैसे छोटे जिले में रोजाना औसतन 429 करोड़ रुपए के पुराने नोट जमा हो रहे हैं। पिछले आठ दिन में यहां की 143 बैंक शाखाओं में करीब साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए जमा हुए। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। ऐसे ही बड़े आंकड़े अन्य सीमावर्ती जिले पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, अररिया आदि के हैं। जबकि इससे काफी बड़े जिले मुजफ्फरपुर की 337 बैंक शाखाओं में औसतन 300 करोड़ रुपए के पुराने नोट रोज जमा हो रहे हैं। सिंडीकेट की हलचल देख नेपाल ने नोट एक्सचेंज सेंटर बंद कर दिया है। सीमा पर स्थित बैंक ने पुराने नोट बदलने भी बंद कर दिए हैं। साथ ही भारतीय नेपाली करेंसी के एक्सचेंज पर भी रोक लगा दी है। नेपाल ने वीरगंज स्थित अधिकृत 17 नोट एक्सचेंज सेंटर बंद कर दिए हैं।
रुपए डबल करने के बहाने चल रहा था जाली नोट का रैकेट: नोटबंदी के बाद भारत-नेपाल सीमा के तराई क्षेत्रों में पाकिस्तान प्रायोजित धंधे का खुलासा होने लगा है। सिकटा, रक्सौल, आदापुर, बैरगनिया, परिहार, सुरसंड, भिट्ठामोड़, मधवापुर, बासोपट्टी, जयनगर समेत बॉर्डर से जुड़े अन्य स्थानों पर नोट डबल करने की आड़ में जाली नोट के रैकेट चलते थे। इन इलाकों में अब भी 500-1000 के जाली नोट खपाने के लिए युवाओं की टोली सक्रिय है। सीमाई क्षेत्रों की बैंक शाखाओं में बड़े पैमाने पर यह खेल जारी है। बैंकों में जमा हो रहे पुराने नोटों की गड्डी में जाली नोट मिल रहे हैं। छोटे-छोटे किराना समेत अन्य दुकानों पर जाली नोट आने के मामले बढ़ गए हैं।
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साभार: भास्कर समाचार
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