हरियाणा के सरकारी स्कूलों में कार्यरत जेबीटी शिक्षकों को बीएलओ (बूथ लेवल
आफिसर) की ड्यूटी भारी पड़ गई है। मतदाता पहचान पत्रों के साथ आधार कार्ड
को तय समय में न जोड़ने पर जिला निर्वाचन अधिकारियों ने फरीदाबाद में 75
शिक्षकों का वेतन रुकवा दिया है और कैथल में 19 पर एफआइआर दर्ज करा दी
है। जिला निर्वाचन अधिकारियों के आदेश के आगे शिक्षा अधिकारी बेबस हैं।
उन्होंने भी उपायुक्तों का पत्र आते ही ट्रेजरी
को शिक्षकों को जून महीने
का वेतन न देने के निर्देश दिए हैं। कैथल में एफआइआर दर्ज होने पर शिक्षक
पुलिस गिरफ्तारी से बचने के लिए जमानत पर हैं। बीएलओ नियुक्त किए गए
प्राथमिक शिक्षकों ने जिला निर्वाचन अधिकारियों के वेतन रोकने और एफआइआर के
आदेश रद कराने के लिए हाईकोर्ट में अपील की है। इस पर 3 अगस्त को हाईकोर्ट
में सुनवाई होगी। फतेहाबाद, करनाल, कुरुक्षेत्र में भी बीएलओ ड्यूटी वाले
शिक्षकों पर कार्रवाई की तैयारी चल रही है। शिक्षक जिला निर्वाचन
अधिकारियों की इस कार्रवाई से खफा हैं। उन पर दोहरी तलवार लटक रही है।
स्कूलों में बच्चों को न पढ़ाने पर विभाग के उच्च अधिकारी कार्रवाई का डर
दिखा रहे हैं। बीएलओ ड्यूटी में चूक होने पर प्रशासनिक अधिकारी पीछे पड़े
हैं।
मूक दर्शक बना शिक्षा विभाग: हरियाणा मौलिक शिक्षा विभाग के
महानिदेशक ने 16 सितंबर 2013 को शिक्षा का अधिकार कानून के तहत सभी
उपायुक्तों को पहली से आठवीं कक्षा तक के शिक्षकों की बीएलओ ड्यूटी न लगाने
के निर्देश जारी किए थे। इसमें उल्लेख किया गया था कि वर्ष में प्राइमरी
शिक्षकों को 200 दिन और छठी से आठवीं कक्षा तक पढ़ाने वाले शिक्षकों को 220
दिन कक्षाएं लेना जरूरी है। इसलिए उन्हें गैर शैक्षणिक कार्यो में संलग्न न
किया जाए। बावजूद इसके मार्च महीने में जिला उपायुक्तों ने शिक्षकों की
बीएलओ ड्यूटी लगा दी और अब उन पर कार्रवाई भी कर दी है। शिक्षा विभाग मूक
दर्शक बना हुआ है।
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साभार: जागरण
समाचार
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