बोर्ड परीक्षा में कंपार्टमेंट आने के बाद पढ़ाई छोड़ चुकीं छात्रओं के दाखिले की जिम्मेदारी अब गुरुजी के कंधों पर होगी। स्कूल इंचार्ज दाखिला दिलवाकर एसएसए निदेशालय को रिपोर्ट भेजेंगे। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत निदेशालय ने यह कदम उठाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पानीपत से बेटी बचाओ, बेटी
पढ़ाओ अभियान शुरू किया था। इसी अभियान के तहत दसवीं व 12 वीं की बोर्ड परीक्षा में अनुत्तीर्ण बेटियों को स्कूल में फिर से दाखिला दिलाया जाएगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। री-एडमिशन की जिम्मेवारी संबंधित स्कूल के प्रधानाचार्य के कंधों पर होगी। वह छात्र व उसके अभिभावकों को घर से बुलाएंगे और दोबारा एडमिशन लेने के लिए उन्हें मनाएंगे। दाखिला कराने में असमर्थ अभिभावकों से कारण जानेंगे। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की प्रेरणा देकर उन्हें हरसंभव एडमिशन के लिए तैयार करेंगे।राजकीय सीनियर सेकेंडरी व उच्च विद्यालयों में कराए गए दाखिले की रिपोर्ट 10 जुलाई तक अनिवार्य रूप से देनी होगा। शिक्षक खंड शिक्षा अधिकारी को रिपोर्ट देंगे। दाखिला नहीं दिलाने पर कारणों का उल्लेख करना पड़ेगा। परेशानियों को समाधान करने का रास्ता भी सुझाएंगे।
डाटा नहीं है उपलब्ध: दसवीं व 12वीं कक्षा में कितनी बेटियां बोर्ड परीक्षा में शामिल हुईं, कितनी पास व कितनी फेल हो गईं, इसका पुख्ता डाटा शिक्षा विभाग के पास उपलब्ध नहीं है। सर्व शिक्षा अभियान निदेशालय से जारी पत्र के मुताबिक 10 वीं व 12 वीं में फेल होने वाली बेटियों का री-एडमिशन कराना है। राजकीय विद्यालय आने में असमर्थ हो तो ओपन स्कूल से उसका फार्म भरवा कर रिपोर्ट करें। इस कार्य में रुचि नहीं लेने वाले स्कूल इंचार्जो के खिलाफ विभागीय कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
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साभार: जागरण समाचार
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