सुप्रीम कोर्ट नीट अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 7 जुलाई को सुनवाई करेगा। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाएं नीट मामले में फैसला सुनाने वाली पीठ को सुनवाई के लिए भेज दीं। सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल के एमबीबीएस व बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश सिर्फ नीट
परीक्षा के जरिए कराने का आदेश दिया था। केंद्र सरकार ने गत 24 मई को अध्यादेश जारी कर राज्यों को नीट से छूट दे दी थी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इसके बाद राज्य अपने मेडिकल कालेजों में प्रवेश के लिए अलग से परीक्षा करा सकते हैं। इस अध्यादेश को गैर सरकारी संगठन संकल्प चैरिटेबल ट्रस्ट और डॉक्टर आनंद राय ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। नीट अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाएं सोमवार को मुख्य न्यायाधीश की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए लगीं थी। मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाएं नीट पर फैसला सुनाने वाली न्यायमूर्ति एआर दवे की पीठ को सुनवाई के लिए भेज दीं। अब मामले पर 7 जुलाई को सुनवाई होगी। याचिकाओं में नीट अध्यादेश को गैरकानूनी बताते हुए निरस्त करने की मांग की गई है। कहा गया है कि अध्यादेश जनहित में नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल प्रवेश में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए नीट को हरी झंडी दी थी उसे फिर बढ़ावा मिलेगा। ये अध्यादेश जल्दबाजी में लाया गया है। इसके पीछे सरकार की मंशा ठीक नहीं है। अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निष्प्रभावी करने के लिए लाया गया है। यह भी कहा गया है कि नीट का प्रावधान केंद्र का है और केंद्र ने ही सुप्रीम कोर्ट में नीट की तरफदारी की थी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था और अब केंद्र ही उसके खिलाफ अध्यादेश ले आया है। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई और एमसीआइ का परीक्षा कार्यक्रम स्वीकार करते हुए दो चरणों में नीट परीक्षा कराने को मंजूरी दी थी। पहले चरण की परीक्षा एक मई को संपन्न हुई थी और 24 जुलाई को दूसरे चरण की नीट टू परीक्षा होनी है।
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साभार: जागरण समाचार
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