जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान आगजनी, लूटपाट और हिंसा में संदिग्ध भूमिका वाले अफसरों पर गाज गिरनी शुरू हो गई है। हरियाणा सरकार ने प्रकाश कमेटी की रिपोर्ट पर तेजी के साथ कार्रवाई करते हुए तीन एसडीएम और 10 डीएसपी को निलंबित कर दिया है। जिन अफसरों पर गाज गिरी हैं, वे दंगों के दौरान रोहतक,
सोनीपत, हिसार और झज्जर जिलों में तैनात रहे हैं। प्रदेश सरकार ने इतनी बड़ी संख्या में एचसीएस और एचपीएस अधिकारियों का निलंबन कर दागी आइएएस और आइपीएस अधिकारियों पर भी कार्रवाई करने का संकेत दे दिया है। सरकार ने शुक्रवार दोपहर पहले तीन एचसीएस अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश जारी किए। फिर शाम को 10 एचपीएस अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश आए। प्रकाश कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान 90 पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। शुक्रवार को निलंबित किए गए एचसीएस अधिकारियों में हांसी के एसडीएम एवं हिसार के आरटीए जगदीप सिंह, गोहाना के पूर्व एसडीएम धर्मेद्र सिंह और झज्जर के एसडीएम पंकज कुमार शामिल हैं। धर्मेद्र सिंह फिलहाल फिरोजपुर ङिारका में एसडीएम के पद पर कार्यरत हैं, जबकि जगदीप सिंह और पंकज कुमार पुराने पदों पर बरकरार चल रहे थे। निलंबित किए गए 10 एचपीएस अधिकारियों में रोहतक (कलानौर) के तत्कालीन डीएसपी सुखबीर सिंह (मौजूदा पोस्टिंग डीएसपी स्टेट क्राइम ब्यूरो), महम के तत्कालीन डीएसपी सुरेंद्र सिंह (मौजूदा पोस्टिंग डीएसपी स्टेट क्राइम ब्यूरो), रोहतक मुख्यालय के डीएसपी विजेंद्र सिंह, डीएसपी रोहतक पवन कुमार, बेरी के डीएसपी जगत सिंह, हांसी के तत्कालीन डीएसपी संदीप मलिक (मौजूदा पोस्टिंग डीएसपी सीआइडी) और लोहारू के डीएसपी राजबीर सिंह शामिल हैं। इनके अलावा गोहाना के तत्कालीन डीएसपी विनोद कुमार (मौजूदा पोस्टिंग एसीपी फरीदाबाद), सोनीपत के डीएसपी सुनील कुमार और गन्नौर के तत्कालीन डीएसपी सतीश कुमार (मौजूदा पोस्टिंग डीएसपी खरखौदा) को भी निलंबित किया गया है।
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साभार: जागरण समाचार
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