Saturday, May 28, 2016

शिक्षा का बंटाधार: बच्चे पौने तीन लाख, जरुरी विषयों की किताबें छापीं सिर्फ पांच हजार

हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड पिछले तीन साल से विद्यार्थियों की संख्या के मुताबिक पुस्तकें उपलब्ध करवाने में नाकाम साबित हुआ है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सीनियर सेकेंडरी के पौने तीन लाख से ज्यादा विद्यार्थी हैं, मगर बोर्ड हर बार पर्याप्त मात्र में पाठ्य पुस्तकें नहीं छपवा पाया। कई पुस्तकें तो ऐसी भी है, जिनकी बोर्ड द्वारा एक भी प्रति नहीं छपवाई गई। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। वहीं जिन विषयों के पुस्तकें छपवाई गई, उनके प्रकाशन में महज औपचारिकता ही बरती गई। सिरसा के शिक्षाविद द्वारा लगाई गई आरटीआई में बोर्ड ने पाठ्य पुस्तकों के प्रकाशन के मामले में हैरानीजनक आंकड़े पेश किए हैं। जिससे ना केवल अभिभावकों की बल्कि प्रदेश सरकार की भी चिंता बढ़ सकती है। शिक्षाविद व आरटीआई एक्टिविस्ट करतार सिंह द्वारा लगाई गई आरटीआई के जवाब में शिक्षा बोर्ड भिवानी द्वारा दी गई जानकारी में खुलासा हुआ है कि शैक्षणिक सत्र 2016-17 में 12वीं कक्षा के लिए नैतिक शिक्षा की दो लाख 30 हजार प्रतियां छपवाई गई हैं जबकि 12वीं अंग्रेजी की अनिवार्य पुस्तक फ्लेमिंगो को इस सत्र में छपवाया ही नहीं गया है। इसी तरह 11वीं की संस्कृत की किताब का भी प्रकाशन नहीं करवाया गया।इसके अलावा स्वास्तिक भाग-दो व अरोहा भाग-दो की महज पांच हजार ही प्रतियां छपवा कर इतिश्री कर दी गई। करतार सिंह कहते हैं कि ऐसी स्थिति में अभिभावकों चिंतित होंगे ही। यदि पाठ्य पुस्तकें ही नहीं होंगी तो बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी और उनका भविष्य भी सवालों के घेरे में होगा।

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साभारजागरण समाचार 
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