हरियाणा में आरक्षण के लिए लड़ी गई खूनी जंग भी काम नहीं आ सकी। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में आरक्षण पर रोक के लिए जस्टिस केसी गुप्ता आयोग की वही रिपोर्ट आधार बनी है, जिस पर पिछली हुड्डा सरकार के समय से उंगली उठ रही है। मनोहर लाल सरकार ने जब जाट समुदाय को आरक्षण दिया था, तब कहा
गया था कि जस्टिस केसी गुप्ता आयोग की रिपोर्ट को आरक्षण देने का आधार नहीं बनाया गया है, लेकिन विधानसभा में पेश किए गए बिल में बाकायदा केसी गुप्ता आयोग की रिपोर्ट का हवाला है, जिसे सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हाईकोर्ट ने भी इसी आधार पर केसी गुप्ता आयोग की रिपोर्ट को आधार मानने से इनकार करते हुए जाटों को हाल ही में मिले आरक्षण पर रोक लगाई है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग ने सुप्रीम कोर्ट में जाट आरक्षण पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि जाट बैकवर्ड नहीं हैं। हाईकोर्ट में इस दलील को भी मद्देनजर रखते हुए सुनवाई हुई है। राज्य में जाट आरक्षण आंदोलन के कारण भारी खून खराबा हुआ है। हिंसक आंदोलन में जहां 31 लोगों की जान चली गई थी, वहीं कई हजार करोड़ रुपये की संपत्ति खाक हो गई। राज्य सरकार मात्र 850 करोड़ का नुकसान मानती है।
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साभार: जागरण समाचार
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