Saturday, May 28, 2016

नंबर कम आने पर छात्रा गई कंज्यूमर कोर्ट, कोचिंग सेंटर पर लगा साढ़े तीन लाख का जुर्माना

यह मामला उपभोक्ता अधिकारों के लिए एक सबक है। अंधेरी के एक ट्यूशन सेंटर पर उपभोक्ता अदालत ने 3.64 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। चूंकि अंधेरी के लोखंडवाला काम्पलेक्स में स्थित ऑक्सफोर्ड ट्यूटर्स अकादमी ने वर्ष 2013 में 12वीं की एक छात्र को तय सेवाएं नहीं दी थीं। उपभोक्ता अदालत के जज एमवाइ
मंकर और एसआर सनप ने शुक्रवार को इस होम ट्यूशन सर्विस को जमा की गई 54,000 रुपये की फीस लौटाने का आदेश दिया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। साथ ही छात्र को इससे हुए मानसिक क्लेश की भरपाई के लिए 3 लाख रुपये देने को कहा। साथ ही उसके परिवार को केस लड़ने में हुए खर्च का दस हजार रुपये देने को कहा। ऑक्सफोर्ड ट्यूटर्स अकादमी एसएससी, एचएससी, सीबीएसई और आइसीएसई छात्रों को घर पर ट्यूशन की सुविधा मुहैया कराता है। एचएससी परीक्षा की तैयारी कर रही विज्ञान की छात्र अभिव्यक्ति वर्मा ने इस कोचिंग की सेवाएं वर्ष 2013 में रसायनशास्त्र (केमेस्ट्री) और गणित (मैथ) के लिए लेनी शुरू की। अनुभवी फैकल्टी होने का दावा करने वाली ऑक्सफोर्ड ट्यूटर्स अकादमी को उसे पढ़ाने के लिए ट्यूटर उसके घर पर भेजने थे, लेकिन एक महीने तक वह केमेस्ट्री के अध्यापक नहीं भेज पाए। जबकि गणित के अध्यापक हिंदी माध्यम से पढ़ाते थे और वह अभिव्यक्ति को अंग्रेजी में नहीं पढ़ा पा रहे थे। इसके बाद छात्र की मां और पेशे से वकील नीना ने कई बार सेंटर को एक केमेस्ट्री टीचर भेजने को कहा। उसके बाद उन्होंने एक केमेस्ट्री टीचर भेजा लेकिन वह आइसीएसई बोर्ड के कक्षा आठ के छात्रों को पढ़ाता था। अपनी बेटी के पढ़ाई में कमजोर हो जाने के डर से छात्र की मां नीना ने नवंबर के महीने में कोचिंग सेंटर से फिर संपर्क साधा। तब उन्होंने आइआइटी के एक छात्र को क्वेश्चन पेपर बैंक हल करने के लिए भेजा। लेकिन यह छात्र भी अभिव्यक्ति की मदद नहीं कर सका। एसएससी एक्जाम में 83 फीसद नंबर लाने वाली अभिव्यक्ति फिजिक्स, केमेस्ट्री और मैथ में 60 फीसद अंक भी नहीं ला सकी। कम मेरिट आने के चलते वह हैदराबाद के एक वांछित कालेज में एडमीशन नहीं ले पाई। बाद में उसे कालेज में मैनेजमेंट कोटे से एक सीट मिली। अभिव्यक्ति ने बताया कि ट्यूशन सेंटर की लापरवाही के चलते वह पढ़ाई में सही सामंजस्य नहीं बैठा पाई। केमेस्ट्री के टीचर बहुत मंद गति से कोर्स पढ़ा रहे थे। खासकर के शुरुआती छह महीने में कोर्स नाममात्र का कराया। मुङो इन सब बातों को लेकर बहुत तनाव होता था। एक समय आया जब मैं अवसादग्रस्त हो गई थी।

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साभारजागरण समाचार 
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