राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आखिरकार विदेश दौरे पर रवाना होने से पहले मेडिकल की ‘राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा’ (नीट) पर सरकार के अध्यादेश को मंजूरी दे दी। इसमें प्रावधान है कि राज्य सरकार चाहें तो अपने कोटे की सीट के लिए अलग से परीक्षा आयोजित कर सकती हैं। अब जिन राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर
अपनी राज्य स्तरीय परीक्षा टाल दी थी, वे दोबारा इसे आयोजित करवा सकते हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।
अटार्नी जनरल ने दूर की शंका: राष्ट्रपति मुखर्जी ने मंगलवार की सुबह नीट पर केंद्र सरकार के अध्यादेश को अपनी मंजूरी दे दी। इससे पहले अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी इस अध्यादेश को लेकर उनकी शंका को दूर करने राष्ट्रपति के कार्यालय पहुंचे थे। यह अध्यादेश सरकार ने शनिवार को ही प्रणब मुखर्जी के पास भेज दिया था। मगर राष्ट्रपति इसे मंजूरी देने से पहले पूरी तरह आश्वस्त होना चाहते थे।
नड्डा के समझाने पर संतुष्ट नहीं थे प्रणब: सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा खुद उनके पास जाकर उन्हें इस अध्यादेश की जरूरत के बारे में समझाने की कोशिश कर चुके थे। मगर तब भी वे संतुष्ट नहीं हुए थे। सोमवार देर रात स्वास्थ्य मंत्रलय के शीर्ष अधिकारियों ने भी राष्ट्रपति भवन जाकर उनका संदेह दूर करने की कोशिश की थी।
इस साल से नीट पर सहमत थे केंद्र, सीबीएसई व एमसीआइ: इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया था कि देश भर के सभी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में एडमिशन सिर्फ नीट परीक्षा के जरिये ही होंगे। यह फैसला लेने से पहले उसने केंद्र सरकार, सीबीएसई और भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (एमसीआइ) की भी राय ली थी।
सभी निजी संस्थान और प्राइवेट मेडिकल कॉलेज नीट के दायरे में होंगे। राज्यों के पास अपनी परीक्षा कराने अथवा नीट में शामिल होने का विकल्प होगा। - जेपी नड्डा, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री
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साभार: जागरण समाचार
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