Friday, May 27, 2016

लाख कोशिशों के बावजूद मेवात में क्यों नहीं बढ़ रहा शिक्षा स्तर

संतरी से लेकर मुख्यमंत्री तक मेवात में शिक्षा को बढ़ावा देने का राग अलाप रहे हैं। लेकिन मेवात में इन बातों में कोई दम दिखाई नहीं देता। यहां 45 प्रतिशत पद रिक्त हैं। ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा छात्रों तक पहुंचना बड़ा सवाल है। इस कमी से स्कूलों में पढ़ाई, अनुशासन व खेलकूद गतिविधियों के साथ स्कूलों का सुपरविजन भी
प्रभावित है। हालांकि सरकार ने इस कमी को पाटने के लिए मेवात में तैनात शिक्षकों के तबादलों पर रोक लगाई हुई है तो अलग से मेवात शिक्षक कैडर का गठन किया हुआ है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मेवात जिले में लगभग 491 प्राइमरी स्कूल हैं, 322 मिडिल, 41 हाई व 39 सीनियर सेकेंडरी हैं। इनमें एक लाख 60 हजार छात्र पढ़ते हैं। इनमें से 91 मिडिल तथा 6 प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं, जिनमें पिछले कई सालों से अध्यापक नहीं है। 81 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें एक या फिर दो अध्यापक हैं। जबकि छात्रों की संख्या खासी है। बिसरू प्राइमरी पाठशाला कन्या में 272 छात्रओं पर केवल एक अध्यापक है। जिन स्कूलों में एक-एक अध्यापक हैं, वो मिड-डे-मील, डाक, विभागीय बैठकों में व्यस्त रहते हैं।
दूसरे जिलों के सहारे: मेवात के स्कूलों में करीब सत्रह सौ अध्यापक दूसरे जिलों के हैं। वो यहां पिछले आठ-दस वर्ष से काम कर रहे हैं। वो बार-बार अपने घर जाने के तबादलों की मांग करते हैं।
कैडर का फायदा नहीं: मेवात में अध्यापकों की कमी को पाटने व यहां स्थाई तौर पर अध्यापकों को रोकने के लिए सरकार ने दो वर्ष पहले मेवात जिले के लिए अलग से शिक्षक कैडर बनाया है। जिसमें शर्त है कि कैडर में भर्ती होने वाला अध्यापक नौकरी मेवात में ही करेगा।
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साभारजागरण समाचार 
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