Tuesday, May 31, 2016

लाइफ मैनेजमेंट: टीम में एक हीरो नहीं होता, सब मिलकर प्रयास करते हैं

एन रघुरामन (मैनेजमेंट फंडा)
आमतौर पर कहा जाता है कि एक आदमी ऑर्केस्ट्रा की तरह मधुर संगीत पैदा नहीं कर सकता, इसके लिए पूरी टीम की जरूरत होती है। सनराइजर्स हैदराबाद (एसआरएच) टीम के कप्तान डेविड वार्नर ने आईपीएल 2016 में देश की फेवरेट टीम रॉयल चेलेंजर बेंगलुरू (आरसीबी) को धड़कनें बढ़ा देने वाले मैच में आठ रनों से हराकर यह
पुरानी कहावत साबित कर दी। देश के हर कोने से महान क्रिकेट गुरु आक्रामक और आगे बढ़कर हमला करने वाले आरसीबी के कप्तान विराट कोहली को सपोर्ट कर रहे थे। मैच के पहले जब सिक्का उछाला गया तब से ही एसआरएच के कप्तान अलग ही नजर आए। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। आमतौर पर यह धारणा होती है कि टॉस जीतने वाला कप्तान विपक्षी टीम को बल्लेबाजी करने बुलाता है, ताकि उसे अपना लक्ष्य पता हो, लेकिन वार्नर ने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। वार्नर जानते थे कि वे क्या कर रहे हैं। वे चाहते थे कि हर डिपार्टमेंट अच्छा करे। पहले तो वे यह चाहते थे कि बल्लेबाज बड़ा स्कोर बनाएं और उन्होंने खुद इसे अपने हाथ में लेते हुए धमाकेदार शुरुआत के रूप में 38 बॉल पर 69 रन बनाए। यह किसी लीडर की पहली बड़ी क्वालिटी होती है। 
लेकिन उनका मिडिल ऑर्डर फेल हो गया और 158 रन बनते-बनते टीम के 6 खिलाड़ी आउट हो गए, लेकिन उनके चेहरे पर कोई निराशा नहीं थी, क्योंकि वे जानते थे कि टीम का कोई एक सदस्य तो जिम्मेदारी लेते हुए स्कोर को सम्मानजनक स्तर तक ले जाएगा और वे सही सोच रहे थे। बेन कटिंग ने अपनी टीम के स्कोर को 208 रन तक पहुंचा दिया। यह आईपीएल फाइनल का नया रिकॉर्ड है। उन्होंने 15 बॉल पर 39 रन बनाए। 20वें ओवर के बाद वार्नर के चेहरे पर संयमित हंसी नजर आने लगी थी और भुवनेश्वर कुमार खुद को तैयार करने के लिए तेजी से गायब हो गए, जबकि पूरी फिल्डिंग साइड बाहर गई। मैदान में बीच में एसआरएच के मेंटर वीवीएस लक्ष्मण विकेटकीपर नमन ओझा को कैचिंग प्रेक्टिस कराने लगे। कोच टॉम मूडी से बातचीत के बाद दूसरे पिच पर बिपुल शर्मा और मोइसेस हेनरिक्स सही लेन्थ में बॉलिंग करने की प्रैक्टिस करने लगे। सिर्फ एक ही बार तो फाइनल होना था और एसआरएच इसे हर हाल में जीतना चाहती थी। बल्लेबाज शिखर धवन और दीपक हुड्‌डा ने बिल्कुल समय बर्बाद नहीं किया और ऊंचे कैच लेने की प्रेक्टिस की। वार्नर मूडी के साथ व्यस्त थे। दो मिनट भी नहीं बीते थे कि कटिंग फिर मैदान में गए। एसआरएच टीम फोटो के लिए साथ आई और जितनी जल्दी हो सकता था इन औपचारिकताओं को पूरा किया और फिर प्रैक्टिस करने लगे। अगर कोई एक फैक्टर था एसआरएच की जीत के पीछे तो वह यही था - उनका गहरा संकल्प। वे जानते थे कि एक डिपार्टमेंट अपना काम पूरा कर चुका है, जबकि अब बॉलिंग और फील्डिंग की बारी थी। अन्यथा 208 रन का यह रिकॉर्ड अगले 90 मिनट भी नहीं टिक पाता। दूसरे दौर का खेल शुरू हुआ। वार्नर अपसेट नहीं थे, तब भी नहीं जब गेल ने तूफानी 76 रन 38 गेंदों पर बना दिए और कोहली ने 35 गेंदों पर 54 रन ठोक दिए। 114 रन के स्कोर तक एक भी विकेट नहीं गिरा था। वे अपने बॉलर्स को सपोर्ट करते रहे, फील्ड में अपनी जगह से दौड़कर बॉलर तक जाते और उन्हें कूल बने रहने और यॉर्कर बॉल करने के लिए प्रेरित करते रहे। 

11वें ओवर में मैच बदला, गेल कटिंग की ऑफ कटर बॉल को समझने में असफल रहे। एसआरएच के मिडिल ऑर्डर की तरह आरसीबी का मिडिल ऑर्डर भी ढह गया। एबी डी विलियर्स, केएल राहुल और शेन वॉट्सन जल्दी-जल्दी आउट हो गए और विराट कोहली भी। कोहली के 973 रन और ऑरेंज कैप के बावजूद आरसीबी की टीम तब ढह गई जब उसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। आखिर में वार्नर और उनकी टीम ने फाइनल जीतकर 2016 का चैम्पियन का टाइटल अपने नाम कर लिया। 
फंडा यह है कि अगर आप एक टीम के रूप में काम करते हैं तो इसमें कोई सिंगल हीरो नहीं होता और सफलता के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होता है। एसआरएच ने यही किया।

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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