Wednesday, May 25, 2016

लाइफ मैनेजमेंट: जिंदगी में संतुलन लाने के लिए दायरे से बाहर आएं

एन रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
स्टोरी 1: इस सप्ताह सोमवार की शाम अन्य शामों के मुकाबले अधिक उजली थी। पिछले दो माह में तो मैंने ऐसी शाम गार्डन एरिया, चिल्ड्रन प्ले एरिया, जिम, क्लब और स्विमिंग पुल एरिया में नहीं देखी थी। शोर का स्तर बता रहा था कि बहुत से लोग बाहर निकले हैं। गर्मियों की छुट्‌टियों के बावजूद इस सोमवार के पहले गार्डन
में भीड़ काफी कम थी। बड़े लोग काफी खुश थे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। वे हर गुजरने वाले युवा को रोकते और खैरियत पूछते। युवा आपस में प्रमोशन और इंक्रिमेंट की अच्छी खबर साझा कर रहे थे और कुछ अपने बच्चों के रिज़ल्ट का अच्छा समाचार देते नज़र आए। कुछ महिलाएं, विशेष रूप से घरेलू महिलाएं पिछले कुछ महीनों में उन्हें मिले अच्छे उपहारों के बारे में बात कर रही थीं। किसी को नया इलेक्ट्रिक गैजेट मिला था, किसी को नए कपड़े। बुजुर्ग सबसे ज्यादा खुश थे। वे कॅरिअर में सफलता के समाचार पर युवाओं को गले लगा लेते। जेब से सौ के नोट निकालकर परीक्षा में अच्छा करने वाले बच्चों को उपहार में दे देते। कुल-मिलाकर पिछले सात-आठ सप्ताह के निराशाजनक माहौल के मुकाबले हवा में खुशनुमा अहसास था। 
एेश्वर्या राय के अभिनय वाली सरबजीत फिल्म चर्चा का मुख्य विषय थी। हालांकि, अधिकतर ने यह फिल्म देखी नहीं थी, क्योंकि यह कोई मनोरंजक फिल्म नहीं है। किंतु लोग इस फिल्म को बाद में कभी देखने की इच्छा रखते हैं। मैंने बदले हुए माहौल को नोटिस किया। मेरा दिमाग दौड़ रहा था कि बदलाव का कारण क्या है। अचानक मैं ऐसे उछल पड़ा जैसे कोई वैज्ञानिक नई खोज करके उत्साहित हो जाता है। इसके लिए दोषी था- आईपीएल। सोमवार को चूंकि कोई मैच नहीं था, इसलिए लोग घरों से बाहर निकले थे। 
स्टोरी 2: दुनियाके सबसे सघन संचार नेटवर्क वाले देश दक्षिण कोरिया में रविवार को दर्जनों लोगों ने स्पेस-आउट कॉम्पिटिशन में हिस्सा लिया। इसका उद्देश्य था तनाव मुक्त जीवन और सूचना के बहुत सारे बोझ से मुक्ति। करीब 60 प्रतिभागियों ने सोल में 90 मिनट तक एक पब्लिक पार्क में बैठकर समय बिताया- बिना बातचीत, नींद, खाना-पीना, भोजन और बिना किसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के। इवेंट का स्लोगन था- रिलैक्स योर ब्रेन। स्पेस-आउट कॉम्पिटिशन लोकल एक्टिविस्ट द्वारा 2014 में शुरू की गई थी। रविवार का कार्यक्रम सोल सिटी काउंसिल ने आयोजित किया था, जिसमें 1500 से ज्यादा ऑनलाइन एप्लिकेशन मिली थीं। कॉम्पिटिशन के लिए उपलब्ध स्थानों के लिए प्रतिस्पर्धा थी। काउंसिल ने अपने बयान में कहा कि स्मार्ट फोन, टीवी और कंप्यूटर की ओवरलोड सूचनाओं से कभी मुक्त नहीं होने वाले हमारे दिमाग को रिलैक्स होने दें। कुछ भी नहीं सोचने का आनंद लिया जाए। 
सपाट चेहरों वाले प्रतिभागियों में मांताएं और युवा बच्चे, मध्यम उम्र के लोग, 30 डिग्री सेल्सियस के तापमान में लेटे या बैठे थे। कई लोगों ने गर्मी से बचने के लिए छाते थाम रखे थे। आयोजन में भाग लेने वालों को घड़ी पर नज़र डालने की भी इजाजत नहीं थी अौर ज्यादा इधर-उधर घूमने-फिरने की। जिस व्यक्ति की दिल की धड़कन सबसे ज्यादा स्थिर रही उसे विजेता घोषित किया गया। हमारी अधिकांश जिंदगी तीन स्तंभों पर टिकी होती है- रोमांस, एक्शन और कॉमेडी, लेकिन जीवन का सबसे महत्वपूर्ण चौथा पहिया है- स्पेस आउट। इसमें भावनाएं, विचार, नॉलेज हिस्ट्री, स्पर्श की अनुभूति, लोगों से व्यक्तिगत रूप से मिलना, दूसरों के सुख-दुख के बारे में जानना और हर उम्र के लोगों के साथ जुड़ाव शामिल है। यह हमें उस वैश्विक बीमारी से दूर रखता है, जिसे अकेलापन कहते हैं। लोगों से भरे शहरों में भी अकेलेपन की ये बीमारी दिखाई देती है। इसे न्यूयॉर्क सिंड्रोम कहते हैं। और इसका समाधान छिपा है सिर्फ किसी के साथ में, मित्रता में और शेयरिंग में। 
फंडा यह है कि संपूर्ण खुशहाल जीवन के लिए, बाहर निकलिए लोगों से मिलिए और शेयर कीजिए। यह उपयोगी होगा। इस दिशा में प्रयास कीजिए और अपने जीवन में इसका असर देखिए।

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.