देशभर के डॉक्टरों की ओर से अब अपने पास आने वाले मरीजों की पर्ची पर नो पैसिव स्मोकिंग का मैसेज लिखकर सचेत किया जाएगा। इससे मरीज अपने पास स्मोकिंग करने वाले दूसरे व्यक्ति को जागरूक करेगा, क्योंकि पैसिव स्मोकिंग ज्यादा नुकसानदायक होती है। इसके लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए)
ने अपने ढाई लाख सदस्यों को नई गाइडलाइन जारी कर दी है। 31 मई को विश्व नो तंबाकू दिवस पर नई गाइडलाइन लागू की जाएगी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।एसोसिएशन के ढाई लाख सदस्यों को स्पष्ट किया है कि वे अपने पास आने वाले हर मरीज से पूछें कि क्या वह धूम्रपान करते हैं और अगर करते हैं तो उन्हें छोड़ने में मदद करने का आश्वासन दें। अपनी 1700 शाखाओं वाली संस्था की बैठकों में धूम्रपान पर पाबंदी लगाएं और अपने अस्पतालों और क्लीनिक को तंबाकू निषेध क्षेत्र घोषित करें। आईएमए ने देश में अपनी 1700 शाखाओं और सभी सदस्यों को संदेश दिया कि वह तंबाकू के खिलाफ इस मुहिम को सिरे चढ़ाने के लिए देश में पहली बार आईएमए और हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) ने एक साथ मिलकर जागरूकता फैलाने का फैसला लिया है। वहीं, आईएमए और एचसीएफआई ने फैसला लिया कि ई-सिगरेट को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने और सिगरेट के रैपर के 85 प्रतिशत हिस्से पर भयानक पोस्टर बनवाने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा जाएगा। आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. एसएस अग्रवाल और एचसीएफआई ऑनरेरी सेक्रेटरी डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि देश में तंबाकू के बढ़ते सेवन को रोकने के लिए जरूरी है कि निजी और सरकारी संस्थाएं मिलकर प्रयास करें।
क्या है पैसिव स्मोकिंग: स्मोकिंग दो तरह की मानी गई है। एक्टिव और पैसिव। एक्टिव स्मोकिंग स्वयं व्यक्ति धूम्रपान करके अपने को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन सामने खड़े दूसरे व्यक्ति द्वारा स्मोकिंग करने से भी लोगों को नुकसान होता है। इसे ही पैसिव स्मोकिंग कहा जाता है। बता दें कि तंबाकू जल्दी उम्र बढ़ने, नपुंसकता और दिल के रोगों का प्रमुख कारण बन रहा है।
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साभार: भास्कर समाचार
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