हार्ट अटैक आने पर कुछ सावधानियां बरती जाएं, तो पेशेंट की जान बचाई जा सकती है। बीएलके हार्ट सेंटर, नई दिल्ली के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अजय कौल का कहना है कि ऐसी स्थिति में पेशेंट को मेडिकल जितनी जल्दी मिल जाएं उतना ही अच्छा होगा, इसलिए सबसे पहले पेशेंट को नजदीकी हॉस्पिटल में एडमिट करने का इंतजाम करें। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इसके अलावा जब तक एम्बुलेंस आए, तब तक
यहां बताए जा रहे काम करें:- मरीज को सीधा लेटाएं और उसके कपडे ढीले कर दें ताकि उसकी बेचैनी कुछ कम हो जाए।
- पेशेंट को लम्बी सांस लेने के लिए कहें और उसके आसपास जगह खाली छोड़ दें ताकि उसे पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिल सके।
- हार्ट अटैक के समय उलटी आने की सी इच्छा होती है। पेशेंट को एक तरफ मुड़कर उल्टी करने को कहें ताकि उल्टी फेफड़ों में न भर जाए।
- पेशेंट के गर्दन के साइड में हाथ रखकर उसकी पल्स रेट चेक करें। अगर यह 60-70 से कम हो तो समझ लें कि ब्लड प्रेशर तेजी से गिर रहा है। ऐसे में रोगी के पैर ऊपर की ओर करवा दें ताकी रक्त का प्रवाह हार्ट की तरफ हो जाए और ब्लड प्रेशर ठीक हो।
- पेशेंट को कुछ खिलाने पिलाने की कोशिश न करें। इससे उसकी हालत बिगड़ सकती है।
- एस्पिरिन टेबलेट ब्लड क्लॉटिंग रोकती है, जो हार्ट अटैक के वक्त दी जा सकती है, लेकिन डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
- पल्स रेट क़म होने पर पेशेंट की चेस्ट पर दबाव देने से राहत मिलती है, लेकिन इसका गलत तरीका परेशानी बढ़ा सकता है। इसलिए इंटरनेट आदि पर सही तरीका चेक करके ही आजमाएं।
- हॉस्पिटल ले जाते वक्त पेशेंट को सपोर्ट (सहारा) देकर चलाने की गलती न करें। इससे हार्ट पर दबाव पड़ता है।
- पेशेंट को एम्बुलेंस या अन्य वाहन में बैठाने की बजाय लेटा दें ताकि ब्लड सर्कुलेशन सही बना रहे।
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साभार: भास्कर समाचार
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