हरियाणा में जाटों समेत 6 जातियों (जाट, रोड़, जट्ट सिख, बिश्नोई, मूला जाट, त्यागी) को आरक्षण देने के फैसले पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 25 जुलाई तक अंतरिम रोक लगा दी है। हाईकोर्ट की इस रोक को सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। सफीदों के शक्ति सिंह की ओर से 23 मई को लगाई गई याचिका
पर हुई सुनवाई
नियमों के खिलाफ है आरक्षण: जस्टिस केसी गुप्ता आयोग की सिफारिश के आधार पर हरियाणा में जाटों को आरक्षण देने के खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। याचिका में कहा है कि हरियाणा में जाटों को आरक्षण देने का आधार बनाई गई पिछड़ा वर्ग आयोग की केसी गुप्ता रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है फिर इस रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण क्यों लागू किया गया है। याचिका में आरोप लगाया गया कि हरियाणा सरकार ने जाटों के दबाव में उनको आरक्षण दिया है। याचिका के अनुसार सुप्रीम कोर्ट पहले ही जाटों को आरक्षण देने की नीति को रद्द कर चुका है और राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग सुप्रीम कोर्ट में यह कह चुका है कि जाट पिछड़े नहीं है। सेना, शिक्षा संस्थानों व सरकारी सेवा में जाट उच्च पदों पर है। ऐसे में उनको आरक्षण देना सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है और कानूनन खिलाफ हैं। दूसरा इंद्रा साहनी केस में सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट कर चुका है कि 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता जबकि हरियाणा सरकार ने यह सीमा 70 प्रतिशत तक पार कर दी। याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1992 में एक फैसले में कहा था कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता। ऐसे में जाटों को दिया आरक्षण खारिज किया जाए।
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साभार: Social Media
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