Monday, May 23, 2016

यूपी, बिहार और सीबीएसई बोर्ड की तर्ज पर बनेगा मोदी सरकार का 'वैदिक शिक्षा बोर्ड'

नरेंद्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनते ही अच्छे दिनों की तथाकथित शुरुआत हो गई थी। हालांकि आज तक जनता ये सोचने पर मजबूर है कि ये अच्छे दिन हैं किसके? पर सोचने से क्या होता है। बहुमत से चुने हुए मोदी जी सरकार में भी हैं, और सत्ता में भी। इसी का
नतीजा है कि सरकार की दखलंदाज़ी सड़क से लेकर संसद तक नज़र आती है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मोदी जी की डिग्री का विवाद अभी शांत भी नहीं हुआ था कि सरकार एक नए विवाद में कूदने की तैयारी कर रही है. दरअसल कुछ महीने पहले बाबा रामदेव द्वारा केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को प्रस्तावित 'वैदिक एजुकेशन बोर्ड' को ठुकराने के बाद सरकार ने इस पर फिर से विचार करना शुरू कर दिया है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक 5 सदस्यों की एक टीम गठित की गई है, जो संस्कृत के विद्वानों और गुरुकुलों से इस बारे में विचार विमर्श करेगी। इस बाबत 6 करोड़ का बजट भी जारी किया गया है। इस समय देशभर में कुल 10,000 बच्चे वेद शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। अभी बोर्ड स्थापित करने के लिए 40,000 अन्य बच्चों की ज़रुरत है। यह पहला ऐसा मौका होगा, जब बच्चों को आधुनिक स्कूल्ज़ के बजाये पाठशालाओं में आने के लिए प्रेरित किया जायेगा. इससे पहले 1982 में Maharshi Sandipani Rashtriya Veda Vidya Pratishthan के अंतर्गत 450 पाठशालाएं खोली गई थीं, जिसमें बच्चे आधुनिक बोर्ड्स के ज़रिये 10वीं और 12वीं की परीक्षा दिया करते थे। हालांकि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इस बारे में कुछ नहीं कहा है पर 'पहले भी वो इस बात पर जोर दे चुकी हैं कि हमें प्राचीन शिक्षा पद्धति की तरफ भी ध्यान रखना होगा'। खबरों के अनुसार अपने प्रस्ताव को ठुकराए जाने के बाद बाबा रामदेव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। 
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साभारसोशल मीडिया (कृपया खबर की सत्यता की जांच स्वयं करें) 

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