Saturday, May 21, 2016

राज्यों की इस वर्ष NEET परीक्षा से छूट देने की तैयारी, अध्यादेश पर लगी मुहर

मेडिकल डेंटल कॉलेजों में प्रवेश की संयुक्त परीक्षा 'नीट' से इस साल राज्यों को छूट देने की केंद्र ने तैयारी कर ली है। खबर है कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आंशिक रूप से बदलने के लिए केंद्र सरकार ने अध्यादेश तैयार कर लिया है। एक-दो दिन में इस पर मुहर लग सकती है। इस संबंध में शुक्रवार को काफी
गहमा-गहमी रही। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। पहले खबर आई कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नीट से संबंधित अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इसके जरिए राज्यों को इस साल अलग से अपनी मेडिकल प्रवेश परीक्षाएं लेने का अधिकार दिया जा रहा है। फिर खबर आई कि अध्यादेश के मार्फत निजी मेडिकल कॉलेजों को भी इस साल नीट से छूट दी जा रही है। इसी बीच एक अन्य खबर भी चली कि अध्यादेश के जरिए 24 जुलाई को होने वाली नीट को टाला जा रहा है। 
इनखबरों के मद्देनजर शाम को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को सफाई देनी पड़ी। उन्होंने कहा, "नीट को टालने की खबरें गलत हैं। नीट लागू हो चुकी है। एक मई को पहला चरण हो चुका है। दूसरा चरण भी 24 जुलाई को होगा। राज्यों की चिंता उनकी इस साल की हो चुकी या तय परीक्षाओं, सिलेबस और भाषा को लेकर है। इस पर हमने राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ विचार किया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में भी विचार हुआ। एक-दो दिन में समाधान निकाल लेंगे।"
सुप्रीम कोर्ट का फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने 28 अप्रैल को फैसला दिया था। इसमें कहा था कि देश के सभी सरकारी कॉलेज, डीम्ड यूनिवर्सिटी और निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश नीट के जरिए ही होंगे। इसके बाद नीट का पहला चरण एक मई को हुआ। इसमें करीब 6.5 लाख बच्चे बैठे थे। कोर्ट ने नौ मई को एक और आदेश जारी किया। इसमें स्पष्ट कि नीट-1 में बैठे स्टूडेंट्स, नीट-2 में शामिल हो सकेंगे। लेकिन उन्हें नीट-1 की दावेदारी छोड़नी होगी। 
और केंद्र का बदलाव: केंद्र के अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही इस साल राज्यों को अपनी मेडिकल प्रवेश परीक्षाएं लेने का अधिकार मिल जाएगा। राज्य शिक्षा बोर्डों के स्टूडेंट्स को 24 जुलाई को नीट के दूसरे चरण में नहीं बैठना होगा। यानी यह सिर्फ केंद्र और देशभर के निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए होगी। राज्य शिक्षा बोर्डों के स्टूडेंट्स अगले साल से नीट में शामिल होंगे। 
15 से अधिक राज्य नीट के खिलाफ, इसलिए बदलाव: नीट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 15 से अधिक राज्य हैं। मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पुड्डुचेरी जैसे राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार की अपील भी की। अपनी-अपनी दलीलें दीं। लेकिन कोर्ट ने फैसला नहीं बदला। इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के बैठक में भी राज्यों का तर्क था कि राज्य शिक्षा बोर्डों के स्टूडेंट्स को नीट देने में दिक्कत होगी। केंद्रीय बोर्ड के बच्चों की तुलना में उन्हें नुकसान होगा। लिहाजा, केंद्र ने राज्यों को एक साल के लिए नीट से छूट देने का फैसला कर लिया। 
सुप्रीम कोर्ट जाएगा एनजीओ: नीट पर केंद्र सरकार के अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी है। एनजीओ संकल्प चैरिटेबल ट्रस्ट का कहना है कि वह अध्यादेश संबंधी नोटिफिकेशन जारी होते ही इसके खिलाफ याचिका दायर करेगा।

"सुनने में रहा है कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को पलटने के लिए अध्यादेश ला रही है। केंद्र सरकार अगर ऐसा करती है तो ये दश के लोगों के साथ बड़ी धोखाधड़ी होगी। बताया जाता है कि कई पार्टियों में कई नेताओं और कई सांसदों के अपने प्राइवेट कॉलेज चल रहे हैं। इनमें कुछ अच्छे हैं और कई में गोरखधंधा भी चल रहा है। इसलिए ये नेता नीट नहीं चाहते। आपसे निवेदन है कि नीट बंद करने का अध्यादेश लाएं। नहीं तो संदेश जायेगा कि केंद्र सरकार काला धन रखने वालों का साथ दे रही है।'' - अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री, दिल्ली, प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी में 

"अध्यादेश के जरिए मोदी सरकार आखिर किसकी मदद कर रही है। क्या वह निजी मेडिकल कॉलेजों के हितों का ख्याल रख रही है, जो 100 से ज्यादा प्रवेश परीक्षाएं लेतें हैं, जिनमें बच्चों को करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। कांग्रेस पार्टी सरकार के इस कदम का सख्त विरोध करती है।'' - रणदीप सुरजेवाला, कांग्रेस प्रवक्ता 
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साभार: भास्कर समाचार 
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