Friday, May 20, 2016

134A के मुद्दे पर हाई कोर्ट की टिप्पणी: निजी स्कूल दूध के धुले नहीं

हरियाणा में शिक्षा का अधिकार नियम 134 ए के तहत गरीब वर्ग के छात्रों को दाखिले के मामले में प्राइवेट स्कूलों की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने स्कूलों को भी उनका फर्ज याद रखने की हिदायत दी। कोर्ट ने कहा कि सरकार की मंशा पर सवाल उठाने वाले स्कूल भी दूध के धुले नहीं हैं। मामले में हरियाणा और केंद्र
सरकार को नोटिस जारी करने के साथ ही हाईकोर्ट के जस्टिस महेश ग्रोवर और जस्टिस लीजा गिल की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता स्कूलों से गरीब बच्चों को दिए गए प्रवेश का ब्योरा कोर्ट में पेश करने को कहा है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल कांफ्रेंस की ओर से दाखिला याचिका में कहा गया कि नियम 134ए को लागू करवाने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा गलत तरीका अपनाया जा रहा है। याचिकाकर्ता ने कहा कि स्कूल चाहते हैं कि नियम को लागू किया जाए परंतु हरियाणा सरकार ने इसके लिए जो शर्त रखीें हैं वह न केवल हाईकोर्ट के पूर्व में दिए गए आदेशों की अवहेलना है बल्कि स्कूलों के साथ भी अन्याय है।
याची ने कहा कि हरियाणा सरकार की ओर से नियम 134ए के तहत सभी प्राइवेट स्कूलों को आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को प्रवेश देने के लिए कहा गया है लेकिन इसके लिए फीस का भुगतान करने से जुड़ी कई शर्त रख दी है। सरकार द्वारा रखी गई शर्त के अनुसार आयकर में छूट, रोड टैक्स के अलावा अन्य कई प्रकार की राहत राज्य सरकार से लेने वाले स्कूलों को इन 10 प्रतिशत सीटों के लिए भुगतान नहीं किया जाएगा। 
याची पक्ष की ओर से इसका विरोध करते हुए कहा गया कि यह सुविधा तो सभी स्कूलों को दी जा रही है लेकिन इस प्रकार की शर्त ऐसे प्राईवेट एडिड स्कूलों पर ही क्यों थोपी जा रही है। हरियाणा सरकार पहले हाईकोर्ट में और फिर सुप्रीम कोर्ट में यह केस हार चुकी है और निर्देशों के अनुसार उन्हें स्कूलों को भुगतान करना ही होगा परंतु वे नियम बनाकर कोर्ट के आदेशों से बचने का प्रयास कर रहें हैं। 
कोर्ट ने याची पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि स्कूल क्यों अपना फर्ज भूल जाते हैं कि आखिर उनका कार्य शिक्षण का है। स्कूलों की यह दलील स्वीकार नहीं की जा सकती है कि लोग अपने बच्चों को प्रवेश दिलाने के लिए सामने नहीं आ रहे हैं। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि प्राईवेट स्कूलों के हालात ऐसे हैं कि गरीब आदमी वहां जाने से भी डरता है। 
स्कूल के कर्ता-धर्ता उनके स्कूल में बच्चों को प्रवेश दिलाने पहुंच भी जाए तो स्कूल मालिका की निहाग ऐसी होती है जैसे वे केस कर देंगे। कोर्ट ने कहा कि यदि स्कूल इतने ही पाक साफ हैं तो यह बताएं कि 2013 में बने एक्ट के बाद अभी तक उन्होंने कितने गरीब बच्चों को दाखिला दिया है। कोर्ट ने हरियाण सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी करने के साथ ही स्कूलों से गरीब बच्चों को दिए गए प्रवेश से जुड़ी पूरी जानकारी सौंपने के आदेश दिए हैं। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभारजागरण समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.