हरियाणा के उग्र जाट आंदोलन के बाद दबाव में आई भाजपा सरकार ने आरक्षण का खाका तैयार करने की कवायद तो शुरू कर दी है, लेकिन समीकरण बिठाने में इसका पसीना छूट रहा है। खुद पार्टी के अंदर ओबीसी व दूसरे पिछड़े नेताओं की ओर से संकेत दे दिया गया है कि उनका हिस्सा कटा तो और भी ज्यादा उग्र आंदोलन
होगा। पार्टी की यह खींचतान लंबी चली, तो इसका असर दूसरे स्थानों पर भी पड़ने की आशंका से नेतृत्व परेशान है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हरियाणा विधानसभा में इसी माह जाटों के लिए आरक्षण से संबंधित विधेयक लाने की घोषणा पहले ही की जा चुकी है। लगातार बैठकें भी चल रही हैं। लेकिन सोमवार को हुई बैठक में विधायकों ने केंद्रीय नेतृत्व के सामने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि आपसी सामंजस्य बिठाना फिलहाल संभव नहीं है। सूत्र बताते हैं कि कुछ गैर जाट विधायकों ने खुलकर कह दिया है कि वे लोग अपने कोटे में कोई कमी होने देंगे। गौरतलब है कि हरियाणा में फिलहाल आरक्षण की जो स्थिति है, उसमें महज तीन फीसद का कोटा खाली है। 26 फीसद जाटों के लिए यह बहुत कम है। ऐसे में ओबीसी और एससी कोटा से कुछ कटौती कर जाट आरक्षण की राह बनाई जा सकती है। लेकिन विधायकों का जो रुख है, उसमें यह करना बहुत आसान नहीं है।
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साभार: जागरण समाचार
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