कुमार विनोद
परीक्षाओं में अगर नकल बंद हो जाए, तो उसके गंभीर दुष्परिणाम भी हो सकते हैं। ऐसे कई स्कूलों को अपना बोरिया-बिस्तर गोल करना पड़ सकता है, जिनमें विद्यार्थी दाखिला ही इस आश्वासन पर लेते हैं कि उन्हें ‘शर्तिया पास’ करवाया जाएगा। नकल बंद होने से खराब परीक्षा परिणामों के चलते ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में ताले जड़े जा सकते हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। अध्यापकों को खराब परीक्षा परिणाम के कारण खराब हुई अपनी एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट सुधरवाने के लिए अधिकारियों की जेबें गर्म करनी पड़ सकती हैं, जिससे भ्रष्टाचार का ग्राफ तेजी से ऊपर की ओर जाने लगेगा। परीक्षा केंद्रों के निकट फोटोस्टेट की दुकान वालों का धंधा चौपट हो सकता है, जो परीक्षा चलने के कुछ दिनों में ही अपनी जेरॉक्स मशीन की लागत से कहीं अधिक रकम वसूल कर लेते हैं। नकल करवाने वाले परीक्षा केंद्र अधीक्षकों एवं उनके सहयोगी चपरासियों, सुपरवाइजरी स्टाफ आदि को मिलने वाले सुविधा शुल्क एवं उपहारों का सिलसिला बंद होने से उन्हें अपना सोशल स्टेटस बनाए रखने में दिक्कतें आ सकती हैं। फ्लाइंग स्कॉयड जैसी टीमों के गठन का औचित्य ही नहीं रह जाएगा, जिससे इन टीमों के सदस्यों को टीए-डीए बनाने जैसी सुविधा से वंचित होना पड़ेगा। पर्चियां बनाने की प्राचीन काल से चली आ रही उच्च कोटि की कला का दम घुट जाएगा।
परीक्षा परिणामों में भारी गिरावट आने पर, शिक्षा के गिरते स्तर को लेकर संसद एवं विधानभाओं में धरना, विरोध प्रदर्शन, हंगामे जैसी अप्रिय स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। परीक्षाओं में फेल होने वाले छात्रों की बढ़ती संख्या के चलते युवा वर्ग में बेचैनी, निराशा एवं कुंठा जैसे नकारात्मक भाव जाग्रत हो सकते हैं।
परीक्षाओं में नकल न होने के उपरोक्त दुष्परिणामों को ध्यान में रखते हुए सरकार को चाहिए कि वह इस अभियान को, जैसा कि अब तक होता आया है, औपचारिकता बनाकर सिर्फ कागजों तक सीमित रखे।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: अमर उजाला समाचार
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.