हरियाणा के अस्पतालों में अब डॉक्टर फरलो नहीं मार सकेंगे। राज्य में
डॉक्टरों की भारी कमी है और जो डॉक्टर ड्यूटी पर हैं, उन पर या तो काम का
बोझ अधिक है या वे ओपीडी छोड़कर अन्य कार्यों में व्यस्त हो जाते हैं। ऐसे
डॉक्टरों पर स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज खुद चंडीगढ़ में बैठ कर निगाह
रखेंगे। राज्य का कोई
अस्पताल ऐसा नहीं है, जहां डॉक्टरों की कमी नहीं
है।यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सरकार ने करीब साढ़े सात सौ डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की है,
लेकिन अभी तक करीब चार सौ डॉक्टर ही ज्वाइन करने पहुंचे हैं। डॉक्टरों को
सरकारी सेवाओं में जोड़ने के लिए सरकार न केवल उनकी सुविधाएं और भत्ते
बढ़ाने पर विचार कर रही है, बल्कि राज्य के ग्रामीण इलाकों में उनकी आवास
सुविधाएं बढ़ाने को लेकर भी गंभीर है। जीर्ण शीर्ण हालत में बने डॉक्टर
क्वार्टरों को नए सिरे से ठीक कराए जाने की योजना पर तेजी से काम चल
रहा है। राज्य के अस्पतालों में अभी जो डॉक्टर हैं, उनकी उपस्थिति
चेक करने के लिए स्वास्थ्य मंत्री ने अपनी टेबल पर ही कंप्यूटर में
साफ्टवेयर लगवाया है। एक क्लिक पर मंत्री को बैठे बैठे पता चल जाएगा कि किस
अस्पताल में डॉक्टर हैं और किसमें गायब हैं। प्रत्येक पीएचसी पर हालांकि
एक लेडी डाक्टर, दो सामान्य डॉक्टर और एक डेंटल डॉक्टर का होना अनिवार्य
है, लेकिन डाक्टरों की कमी के चलते सरकार अब हर जगह एक आयुर्वेदिक डॉक्टर
भेज रही है, जो आयुर्वेदिक इलाज तो करेगा ही, साथ ही एलोपैथिक दवाइयां भी
लिख सकेगा।
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साभार: जागरण समाचार